रिजर्व बैंक ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान कर दिया है. इस बार भी उम्मीद के विपरीत केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को इस बार भी 4 फीसदी पर बकरार रखा है. इसके साथ ही, केंद्रीय बैंक ने समायोजन नीति के तहत रिवर्स रेपो रेट को 3.5 फीसदी रखा है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान करते हुए कहा कि 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 10.5 फीसदी पर बरकरार है. उन्होंने कहा कि हाल ही में कोरोना के नए मामले सामने आने के बाद कुछ राज्य सरकारों की ओर से कड़े कदम उठाए गए हैं, जिससे घरेलू आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होने के आसार हैं और इससे आर्थिक विकास में अनिश्चितता का माहौल नजर आता है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक नकदी की पर्याप्त उपलब्धता के साथ बाजार का समर्थन करेगा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगे कहा कि सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों को 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 को सरकार ने अगले पांच साल के लिए मुद्रास्फीति की दर को 2 फीसदी से ऊपरी और 6 फीसदी के निचले स्तर 4 फीसदी तक बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो अप्रैल 2021 से मार्च 2026 तक जारी रहेगा.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को लोन आसानी से मिल सके. उन्होंने कहा कि आरबीआई सरकारी उधारी कार्यक्रम का सुव्यवस्थित संचालन सुनिश्चित करेगा, वित्तीय स्थिरता कायम रखी जाएगी. इसके साथ ही, आरबीआई ने राज्यों की अल्पकालिक जरूरत के लिए (डब्ल्यूएमए) उधार की सुविधा बढ़ाकर सकल रूप से 47,010 करोड़ रुपये करने का फैसला किया है.
रिजर्व बैंक गवर्नर दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी पर रहेगी. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. उन्होंने कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में 5 फीसदी के स्तर पर बनी रही. हालांकि, कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं. आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है. हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर 5 फीसदी किया गया है.
इसी तरह, मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी हैं. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.
Posted by : Vishwat Sen
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