2022 की मई से अब तक पांच बार बढ़ी है रेपो रेट
गौरतलब है कि पिछले साल महंगाई के आसमान पर पहुंचने के बाद आरबीआई ने मई 2022 से लेकर अब तक अपनी नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में करीब 5 बार बढ़ोतरी की है. विशेषज्ञों की मानें, तो खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से नीचे आ चुकी है. इसके साथ ही, अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सुस्त रहने की उम्मीद है. ऐसी स्थिति में आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकता है.
रेपो रेट में बढ़ोतरी पर लग सकता है विराम
वहीं, दूसरी ओर देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि आरबीआई फरवरी की द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में रेपो रेट में बढ़ोतरी के सिलसिले पर विराम लगा सकता है. केंद्रीय बैंक ने पिछले साल दिसंबर 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में 0.35 फीसदी बढ़ोतरी करने का फैसला किया था. इससे पहले लगातार तीन बार रेपो रेट में करीब 0.50 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई थी. हालांकि, मई 2022 में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी बढ़ोतरी की थी. इस प्रकार, मई से दिसंबर 2022 के दौरान आरबीआई ने रेपो रेट में करीब 2.25 फीसदी तक बढ़ोतरी की है.
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ब्याज दर में एक फिर 0.25 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मौद्रिक नीति समीक्षा बजट और उससे पहले आर्थिक समीक्षा के बाद आ रही है. बजट में जहां डेट प्रोग्राम को लगभग पहले की ही तरह रखा गया है, वहीं आर्थिक समीक्षा में आगामी साल में ब्याज दरें ऊंची रहने का अनुमान लगाया गया है. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की और बढ़ोतरी करेगा. यह इस रेट हाइक साइकिल में रेपो दर में अंतिम बढ़ोतरी होगी.
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