नयी दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले चार साल में अपने स्थापित खुदरा कारोबार के ऊपर एक डिजिटल परत अर्थात जियो का कारोबार खड़ा किया और बाद में ‘जियो प्लेटफॉर्म्स’ में हिस्सेदारी बेचकर अपने निवेश का मौद्रीकरण किया. अगले चार साल में रिलायंस अपने इन दोनों कारोबार के ऊपर नये कारोबार की परत चढ़ाकर उस पर किए जा रहे निवेश का फिर से मौद्रीकरण कर सकती है.
यह बात बोफा सिक्युरिटीज ने अपने एक अध्ययन में कही. रिपोर्ट के मुताबिक जियो को देश की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी बनाने के बाद रिलायंस की योजना इसका लाभ उठाने और डिजिटल विज्ञापन, डिजिटल ऋण और आईपीएल या कौन बनेगा करोड़पति शो जैसे खेलों के प्रसारण के दौरान मोबाइल पर खेल (प्ले अलॉन्ग) खिलाने के माध्यम से आय में क्रमिक वृद्धि करने की है. रिपोर्ट के मुताबिक अगले तीन से पांच साल में रिलायंस के मोबाइल ग्राहकों की संख्या बढ़कर 50 करोड़ होने का अनुमान है. वहीं ब्रॉडबैंड के दो से ढाई करोड़ और 1.2 करोड़ से 1.5 करोड़ छोटे कारोबारियों से उसके जुड़ने की उम्मीद है.
ऐसे में रिलायंस का ध्यान इन कारोबारों के ऊपर एक वाणिज्यिक गतिविधियों की तीसरी परत चढ़ाकर बाद में उसका मौद्रीकरण करने पर हो सकता है. जियो ने मोहल्ले की किराना दुकानों के माध्यम से लोगों के घर तक सामान पहुंचाने के लिए व्हाट्सएप के साथ समझौता किया है. वित्त वर्ष 2019-20 कं अंत तक जियो के फोन कनेक्शन की संख्या 38.8 करोड़ थी. रपट में कहा गया है कि रिलायंस की योजना ‘किसी तरह की सेवा” देकर उसके लिए सहयोगी सेवाएं भी खुद से देने की है.
इससे उसे अपने ग्राहक आधार को खुद से जोड़े रखने में लाभ देगी. यह उसे आम दूरसंचार और खुदरा कंपनियों के साथ-साथ अन्य सेवा देने वाली कंपनी भी बनाएगी. उदाहरण के लिए जियो की मनोरंजन पेशकश उसके ग्राहकों को जोड़े रखने में मदद कर सकती है. जियो संभव है कि अपने इस कारोबार का पूरी तरह मौद्रीकरण ना करे लेकिन यह उसे अपने विभिन्न कारोबारों के बीच ग्राहक आधार बनाए रखने में सहायता करेगा.
रिलायंस का ध्यान शिक्षा प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और कृषि प्रौद्योगिकी सेवाओं पर भी है. रपट में कहा गया है कि देश में गेमिंग का भी विकास होगा क्योंकि यहां की बड़ी आबादी युवा है. रिलायंस ने जियो प्लेटफॉर्म्स के अपने मौजूदा 13 निवेशकों (गूगल और फेसबुक समेत) को उसके खुदरा कारोबार में भी निवेश करने का प्रस्ताव दिया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में फ्यूचर समूह के खुदरा कारोबार का अधिग्रहण किया है. इस तरह की घरेलू खुदरा क्षेत्र में उसकी पहुंच को एकाएक विस्तार मिला है.
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