Republic Day 2025: भारत का वह कोना, जहां संविधान आज भी लागू नहीं है, लोग अपने कानून मानते हैं

Republic Day 2025: हिमाचल प्रदेश के मलाणा गांव के लोग आज भी अपने खुद के कानून का पालन करते हैं. यहां गांव की अपनी न्यायपालिका और संसद मौजूद है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन खास जगहों के बारे में जानिए, जहां भारतीय संविधान लागू नहीं होता

By Abhishek Pandey | January 25, 2025 9:38 AM
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Republic Day 2025: भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, जो भारतीय संविधान के लागू होने का प्रतीक है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित एक छोटा सा गांव मलाणा भारतीय संविधान और सामान्य भारतीय कानून व्यवस्था से बिल्कुल अलग अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है. यह गांव देश का हिस्सा होते हुए भी अपने प्राचीन परंपराओं और खुद के कानूनों का पालन करता है.

मलाणा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

मलाणा गांव को “प्राचीन लोकतंत्र का गांव” भी कहा जाता है. यहां के लोग खुद को सिकंदर महान के सैनिकों का वंशज मानते हैं. यह गांव हज़ारों वर्षों से अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता का दावा करता आया है. यहां के निवासी “जमुलू ऋषि” को अपना कानून निर्माता मानते हैं और उनके बनाए नियमों का पालन करते हैं.

मलाणा का संविधान और न्याय प्रणाली

मलाणा गांव की सबसे अनोखी बात इसकी स्वायत्त न्याय व्यवस्था है. यहां की न्याय प्रणाली को दो सदनों में बांटा गया है:

  1. ज्योष्ठांग (ऊपरी सदन): इसमें 11 सदस्य होते हैं. इनमें से तीन स्थायी सदस्य होते हैं—कारदार, गुरु, और पुजारी. बाकी के आठ सदस्यों का चुनाव गांव के लोग करते हैं.
  2. कनिष्ठांग (निचला सदन): इस सदन में गांव के प्रत्येक घर से एक प्रतिनिधि शामिल होता है.

गांव के सभी निर्णय ऐतिहासिक चौपाल में लिए जाते हैं, जिसे मलाणा का संसद भवन माना जाता है. यहां विवादों का निपटारा और अन्य महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं.

जमुलू ऋषि का प्रभाव

मलाणा के लोग जमुलू ऋषि को अपना कानून निर्माता और देवता मानते हैं. गांव के सभी नियम और परंपराएं उन्हीं की शिक्षाओं पर आधारित हैं. उनका प्रभाव इतना गहरा है कि गांववाले बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करते.

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मलाणा के विशेष नियम

मलाणा गांव में कुछ विशेष नियम लागू हैं:

  • बाहरी लोग गांव की दीवारों को छू नहीं सकते, और यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे जुर्माना देना पड़ता है.
  • पर्यटकों को गांव के भीतर ठहरने की अनुमति नहीं है. वे गांव के बाहर टेंट लगाकर रुकते हैं.
  • गांव में बाहरी लोगों और स्थानीय निवासियों के बीच न्यूनतम संपर्क बनाए रखने के लिए सख्त प्रोटोकॉल हैं.

गांव की अनोखी संस्कृति

मलाणा की प्रशासनिक संरचना और अनोखी परंपराएं इसे बाकी भारत से अलग बनाती हैं. यह स्थान “प्राचीन लोकतंत्र का गांव” कहलाता है, क्योंकि यहां के लोग अपने मतों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन में भाग लेते हैं.

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