4800 करोड़ का घोटाला, छोटे निवेशक लुटे! सिस्टम चुप रहा! माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में SEBI की सबसे बड़ी नाकामी

SEBI News: मार्च 2022 में जब माधबी पुरी बुच SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं, तो उन्हें एक तकनीक-समझ रखने वाली सुधारवादी नेता के रूप में पेश किया गया. उन्होंने वादा किया था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हाई-टेक निगरानी सिस्टम की मदद से शेयर बाजार में किसी भी तरह की गड़बड़ी पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा और छोटे निवेशकों को सुरक्षित रखा जाएगा. लेकिन उनके कार्यकाल में जो हुआ, उसने इन सारे दावों की पोल खोल दी.

By Shailly Arya | July 8, 2025 2:43 PM
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SEBI News: मार्च 2022 में माधबी पुरी बुच जब SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं, तो लोगों को उम्मीद थी कि अब बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी. उन्होंने कहा था कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हाई-टेक सिस्टम की मदद से बाजार में हो रही गड़बड़ियों को रोकेंगी और निवेशकों की रक्षा करेंगी.

लेकिन उनके कार्यकाल में ही एक बड़ा घोटाला हुआ, जिसका नाम है जेन स्ट्रीट स्कैम. यह एक विदेशी फर्म थी, जिसने भारत के शेयर बाजार में गलत तरीके से करीब ₹4,800 करोड़ का फायदा कमाया. यह घोटाला धीरे-धीरे हुआ और इसके कई संकेत पहले से मिल रहे थे, लेकिन SEBI की तरफ से समय पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

₹8,000 करोड़ का मुनाफा

सबसे पहली चेतावनी तब आई जब अमेरिका की एक कोर्ट में यह सामने आया कि जेन स्ट्रीट भारत से हर साल लगभग ₹8,000 करोड़ का मुनाफा कमा रही है. इसके बाद फरवरी 2025 में NSE ने भी SEBI को इन संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.

इसके बावजूद SEBI की निगरानी प्रणाली कुछ भी नहीं कर पाई. माधबी पुरी बुच ने जिस AI और हाई-टेक सिस्टम की बात की थी, वह इतना कमजोर साबित हुआ कि वह इस साफ-साफ चल रहे घोटाले को पकड़ ही नहीं पाया.

लाइसेंस राज

सिर्फ यही नहीं, उनके कार्यकाल में कई ऐसे नियम बनाए गए, जिससे छोटे ब्रोकर्स और आम निवेशकों को काम करना मुश्किल हो गया. जबकि बड़ी कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ा. बाजार के कुछ लोगों ने इसे ‘लाइसेंस राज’ की वापसी कहा यानी बहुत ज़्यादा कागजी काम और नियम.

जेन स्ट्रीट के खिलाफ सख्त कदम

कई बार ऐसा लगा कि SEBI सिर्फ तब एक्शन लेती है जब कोई मामला सामने आता है, पहले से रोकथाम करने की कोशिश नहीं की जाती. लेकिन जब तुहिन कांता पांडे नए चेयरपर्सन बने, तो उन्होंने जेन स्ट्रीट के खिलाफ सख्त कदम उठाएं. उन्होंने इस फर्म पर बैन लगाया, उनके बैंक खातों को फ्रीज किया और करीब ₹4,843 करोड़ जब्त करने का आदेश दिया.

माधबी पुरी बुच का कार्यकाल

इससे यह साफ हो गया कि अगर नियामक संस्था चाहे तो कार्रवाई हो सकती है. माधबी पुरी बुच का कार्यकाल इस बात का उदाहरण बन गया कि सिर्फ तकनीक की बातें करने से कुछ नहीं होता, जब तक सही समय पर सख्त कदम न उठाए जाएं.

यह घोटाला उन लाखों निवेशकों के लिए झटका था जो SEBI पर भरोसा करते हैं. अब जब भी SEBI के इतिहास में किसी बड़ी चूक की बात होगी, तो जेन स्ट्रीट स्कैम और उस वक्त की लापरवाही जरूर याद की जाएगी.

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