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MSME पर पड़ रहा गंभीर दबाव
अभ्युदय जिंदल ने कहा कि स्टेनलेस स्टील उद्योग की एक लंबे समय से चली आ रही जरूरत कुछ ऐसे कच्चे माल की है, जो देश में नहीं हैं. इनमें फेरो निकेल और फेरो मोलिब्डेनम शामिल हैं. फिलहाल फेरो निकेल पर 2.5 प्रतिशत और फेरो मोलिब्डेनम पर पांच प्रतिशत आयात शुल्क लगता है. अपनी बजट अपेक्षाओं पर जेएसएल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि चीन, वियतनाम और कुछ उन देशों से इन उत्पादों की डंपिंग हो रही है, जिनके साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है. उन्होंने कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) पर गंभीर दबाव पड़ रहा है. यह स्टेनलेस स्टील उद्योग को आत्मनिर्भर बनने से भी रोक रहा है. उन्होंने कहा कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) द्वारा एक जांच की गई थी. इसका एक रास्ता यह है कि हमें निश्चित रूप से किसी प्रकार के ‘संरक्षणवादी’ उपाय की जरूरत है. हमारा अनुरोध है कि भारत में स्टेनलेस स्टील कंपनियों को सुरक्षा देने के लिए कुछ प्रकार का शुल्क लगाया जाए.
कुछ ग्रेड के स्टेनलेस स्टील पर लगे 19 प्रतिशत कर
जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (JSW) के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि डीजीटीआर ने भारतीय बाजार में डंप होने वाले कुछ ग्रेड के स्टेनलेस स्टील पर 19 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की भी सिफारिश की है. डीजीटीआर – वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई है, जो डंपिंग रोधी शुल्क, रक्षोपाय शुल्क और प्रतिपूर्ति शुल्क से संबंधित मामलों को देखता है. उन्होंने कहा कि ये शुल्क व्यापार उपचार उपाय हैं, जो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के एक समझौते के तहत अपने सदस्य देशों को प्रदान किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले शुद्ध निकेल और स्टेनलेस स्टील कबाड़ (स्क्रैप) जैसे कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क (2.5 प्रतिशत) हटा दिया था.
भारत में बढ़ी स्टेनलेस स्टील की मांग
आम बजट पर अपनी राय रखते हुए अभ्युदल जिंदल ने कहा कि उद्योग जगत सरकार से अपने इस फैसले को जारी रखने का अनुरोध करता है. आयात के प्रभाव पर जिंदल ने कहा कि इससे क्षेत्र के एमएसएमई को प्रतिस्पर्धा करना काफी मुश्किल हो रहा है. अब वे या तक व्यापारी बन रहे हैं या उद्योग से पूरी तरह बाहर निकल रहे हैं. भारत में स्टेनलेस स्टील की मांग सालाना 8-9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. जिंदल ने कहा कि उद्योग के पास अगले 10-12 साल तक लगातार आगे बढ़ने का अवसर है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि संरक्षणवादी कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो आयात इस अवसर का लाभ उठाता रहेगा.
(भाषा इनपुट के साथ)
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