Success Story: सिर्फ 9वीं तक पढ़ीं, मनरेगा में की मजदूरी… आज करोड़ों की कंपनी की मालकिन हैं ये आदिवासी महिला

Success Story: आदिवासी महिला रुक्मिणी कटारा ने मनरेगा मजदूरी से शुरुआत कर सोलर कंपनी की CEO बनने तक का सफर तय किया. 9वीं पास रुक्मिणी ने ट्रेनिंग से तकनीक सीखी, 50 महिलाओं को रोजगार दिया और 3.5 करोड़ का कारोबार खड़ा किया. पीएम मोदी ने भी सम्मानित किया.

By Abhishek Pandey | April 10, 2025 3:31 PM
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Success Story: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के एक छोटे से गांव माडवा की गलियों में कभी रुक्मिणी कटारा फावड़ा उठाकर मनरेगा में मजदूरी करती थीं. आज वही रुक्मिणी 50 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार देने वाली कंपनी की CEO बन चुकी हैं. नाम है Durga Solar Company, जो सोलर प्लेट, LED बल्ब और कई सोलर डिवाइस तैयार करती है.

9वीं पास रुक्मिणी ने बदली जिदगी की दिशा

रुक्मिणी की पढ़ाई 9वीं तक ही हो पाई थी, लेकिन हौसला PhD लेवल का था. ऊर्जा आजीविका नाम की संस्था से जुड़कर उन्होंने सोलर लैम्प और प्लेट बनाने की ट्रेनिंग ली. शुरुआत में गांव की महिलाओं के साथ मिलकर छोटा-मोटा काम शुरू किया. फिर धीरे-धीरे लीडर बनीं और आखिर में कंपनी की कमान खुद संभाल ली.

सोलर ट्रेनिंग से शुरू, करोड़ों के टर्नओवर तक का सफर

Durga Solar Company अब तक 3.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार कर चुकी है. ये आंकड़े सिर्फ पैसे के नहीं, बल्कि जिद और जज़्बे के हैं. रुक्मिणी कहती हैं,“जब खुद पर भरोसा होता है, तो कामयाबी भी रास्ता ढूंढ लेती है.”

पीएम मोदी ने भी कहा, “शाबाश रुक्मिणी!”

साल 2016 की बात है. दिल्ली में एक इवेंट था. वहीं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुक्मिणी को उद्यमिता पुरस्कार से नवाजा. पूरे मंच पर जब एक आदिवासी महिला ने ट्रॉफी ली, तो कई आंखें नम हो गईं. यह पल सिर्फ सम्मान का नहीं, बल्कि लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा का था.

जब मां-बाप बोले- “पढ़ाई छोड़ दे”, लेकिन रुक्मिणी ने कहा- “क्यों?”

रुक्मिणी के माता-पिता नहीं चाहते थे कि बेटी ज्यादा पढ़े. लेकिन उन्होंने ना सिर्फ B.Ed. तक की पढ़ाई पूरी की, बल्कि तकनीक और बिज़नेस की भी गुर सीख लिए. गांव में पहले जहां पुरुष प्रधान सोच का बोलबाला था, अब वहीं की महिलाएं सोलर प्रोडक्ट बनाकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं.

आदिवासी बहनजी ने बना दिया ‘बदलाव’ का पर्याय

रुक्मिणी की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है, वो एक सोच की क्रांति है. वो कहती हैं:“लड़कियों को पढ़ाई जरूर करनी चाहिए, क्योंकि बदलाव की पहली सीढ़ी वहीं से शुरू होती है.” सिख देती है ये कहानी कि पढ़ाई और हौसला मिल जाए तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं और टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग से महिलाएं भी CEO बन सकती हैं.

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