बीना देवी ने खाट के नीचे की मशरूम की खेती
बीना देवी का जन्म वर्ष 1977 में मुंगेर जिले के टेटियाबंबर प्रखंड के तिलकारी गांव में हुआ. उनकी शादी एक गरीब परिवार में हुई, जहां उनके पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही कोई बड़ा संसाधन. चार बच्चों की मां बीना ने आर्थिक तंगी से जूझते हुए अपने परिवार को संभालने का जिम्मा उठाया. साल 2013 में जब उनके पास मशरूम की खेती के लिए जगह नहीं थी, तब उन्होंने अपने घर में जिस खाट पर सोती थीं, उसके नीचे मशरूम उगाना शुरू कर दिया. केवल एक किलो मशरूम के बीज से शुरुआत करते हुए उन्होंने इस अनोखे तरीके से इसकी खेती की नींव डाली.
बीना देवी का संघर्ष और इनोवेशन
बीना देवी की राह आसान नहीं थी. मशरूम की खेती के लिए नमी, तापमान और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. उनके पास न तो कोई प्रशिक्षण था और न ही आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं. फिर भी, उन्होंने इसकी खेती के लिए पारंपरिक संसाधन भूसा और जैविक खाद का इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे इसकी तकनीक सीखीं. शुरुआत में उत्पादन कम था, लेकिन उनकी लगन ने इसे बढ़ाने में मदद की. अपने जेवर बेचकर और छोटे-मोटे कर्ज लेकर उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाया. भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय से प्रेरणा और कुछ बुनियादी जानकारी हासिल करने के बाद उनकी समझ और मजबूत हुई.
बीना देवी की सफलता और आमदनी
बीना देवी की मेहनत रंग लाई और उनकी छोटी सी शुरुआत एक बड़े उद्यम में बदल गई. आज वह न केवल अपने घर में बल्कि बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती करती हैं. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, वह हर सीजन में सैकड़ों किलो मशरूम का उत्पादन करती हैं. मशरूम की बाजार में कीमत 150-300 रुपये प्रति किलो तक होती है, जो मांग और गुणवत्ता पर निर्भर करती है. एक अनुमान के मुताबिक, बीना देवी की सालाना आमदनी अब लाखों रुपये में है. शुरुआती दिनों में जहां वह कुछ हजार रुपये कमाती थीं, वहीं अब उनका व्यवसाय 5-10 लाख रुपये सालाना तक पहुंच गया है. यह आमदनी न केवल उनके परिवार को आर्थिक स्थिरता देती है, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा और बेहतर जीवनशैली में भी योगदान देती है.
बीना देवी को मिला नारी शक्ति पुरस्कार
बीना देवी ने सिर्फ अपनी जिंदगी नहीं बदली, बल्कि मुंगेर जिले के 5 प्रखंडों और 105 से अधिक गांवों में 25,000 से ज्यादा महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया. वह जैविक खेती, वर्मीकम्पोस्ट और कीटनाशक बनाने की तकनीक भी सिखाती हैं. उनकी इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. 8 मार्च 2020 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें “नारी शक्ति पुरस्कार” से सम्मानित किया. इसके अलावा, मुंगेर के एसडीएम, डीडी किसान (पटना और दिल्ली), और रिलायंस ने भी उन्हें सम्मानित किया.
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चुनौतियां और भविष्य की योजना
हालांकि, बीना की सफलता प्रेरणादायक है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. 2022 में एक रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि वह मशरूम की खेती को और बड़े पैमाने पर ले जाना चाहती हैं और 200 लोगों को रोजगार देना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक तंगी इसका रोड़ा बनी हुई है. सरकार से मदद की उनकी गुहार अभी पूरी तरह से सफल नहीं हुई है. फिर भी, वह हार नहीं मानतीं और जैविक खेती के क्षेत्र में नए प्रयोग कर रही हैं.
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