उन्होंने कहा कि ट्रेन ने लोको पायलट के हस्तक्षेप के बिना कवच की मदद से सभी गति प्रतिबंधों का पालन किया. उदाहरण के लिए, ट्रेन को पलवल-वृदावन रेल मार्ग पर छाता स्टेशन के निकट लूप लाइन में प्रवेश करने के लिए 30 किलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार रखनी थी, जो इसने काफी सटीक तरीके से किया. परीक्षण में भाग लेने वाले अधिकारियों ने बताया कि सिन्हा ‘कवच’ के सफल कामकाज से बेहद प्रभावित थीं, जिसने सभी मापदंडों का कुशलतापूर्वक पालन किया.
सिन्हा सुबह सवा नौ बजे पलवल स्टेशन से वंदे भारत में चढ़ीं और उनके साथ उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रधान मुख्य संकेत एवं दूरसंचार अभियंता, रेलवे बोर्ड के प्रधान कार्यकारी निदेशक और आगरा के मंडल रेल प्रबंधक जैसे रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, ”ट्रेन सुबह 9:38 बजे शोलाका स्टेशन पहुंची और इसे अगले स्टेशन होडल में प्रवेश करने से पहले लाल सिग्नल पर रुकना था. 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने पर कवच प्रणाली ने लाल सिग्नल को देखा और लगभग 1,300 मीटर की दूरी से स्वचालित रूप से ब्रेक लगा दिये.”
उन्होंने बताया, ”ट्रेन संकेत से सिर्फ नौ मीटर पहले रुक गयी और अध्यक्ष समेत सभी ने संतोष जताया. अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली और आगरा के बीच तीन हिस्सों में 125 किलोमीटर का खंड पूरे रेल नेटवर्क का एकमात्र हिस्सा है, जहां ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से दौड़ सकती हैं. भारत में अन्य सभी खंडों पर ट्रेनें अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ती हैं.
Also Read: Lok Sabha Election 2024: हरियाणा में अरविंद केजरीवाल का रोड शो, लोगों से मांगा वोट, पिहोवा से बताया अपना नाता
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.