आयकर अधिनियम में 298 धाराएं और 23 अध्याय
सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने आयकर अधिनियम की समीक्षा पर जताई जा रही आशंकों को दूर करने का प्रयास किया है. मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा इस ‘भारी’ कानून को करदाताओं के लिए समझने में सरल और उपयोगी बनाने के साथ ही इसे नई तकनीकी प्रक्रियाओं से जोड़ने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम 1961 में अभी 298 धाराएं, 23 अध्याय और दूसरे प्रावधान शामिल हैं.
कई नई चीजें जुड़ने से बोझिल हो गया है आयकर कानून
उन्होंने कहा कि समय के साथ आयकर अधिनियम में कई अतिरिक्त चीजें भी जोड़ी गई हैं, जिसके चलते यह काफी बोझिल और भारी हो गया है. उन्होंने कहा कि करदाताओं को भी लगता है कि यह अधिनियम उतना सरल नहीं है, जितना होना चाहिए. यह बोझिल है. इसलिए प्रयास इसलिए किया जा रहा है कि अगर हम इस अधिनियम को सरल, समझने में आसान, भाषा और प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से सरल बना सकें, तो करदाताओं, कर व्यवसायी या किसी दूसरे व्यक्ति को इसे समझने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता लेने नहीं लेनी पड़ेगी.
ये भी पढ़ें: पीएम किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने पर कितना लगेगा ब्याज, क्या आवेदन की प्रक्रिया
आयकर कानून की समीक्षा की 5 बड़ी बातें
- कर कानूनों का सरलीकरण: वर्तमान कर कानूनों को जटिल और पुराना माना जाता है. इन कानूनों को सरल बनाने से करदाताओं के लिए अनुपालन आसान होने और कर प्रशासन की दक्षता में सुधार होने की उम्मीद है.
- कर कमियों को दूर करना: मौजूदा कर प्रणाली में अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए अलग-अलग नियम और धाराएं हैं, जिससे कई प्रकार की कमियां और भ्रांतियां पैदा होती हैं. सरकार का लक्ष्य पूंजीगत लाभ पर कर लगाने के लिए अधिक तर्कसंगत और समग्र दृष्टिकोण बनाना है, जिसमें संभावित रूप से अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ के बीच के अंतर को हटाना शामिल है.
- निवेश और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना: कर कानूनों में लगातार बदलावों ने निवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा की है। कर व्यवस्था को स्थिर और तर्कसंगत बनाकर, सरकार को अधिक निवेश आकर्षित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है (टैक्स गुरु)।
- करदाताओं को राहत: सरकार ने कुछ छोटी और पुरानी कर मांगों को पूरा करने के उपाय पेश किए हैं. इसका उद्देश्य प्रशासनिक बोझ को कम करना और निर्दिष्ट सीमा से कम बकाया कर मांगों वाले करदाताओं को राहत प्रदान करना है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सरकार के इन प्रयासों का उद्देश्य एक अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और कुशल कर प्रणाली बनाना है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिलने के साथ करदाताओं को अनुपालन में सुविधा मिलेगी.
ये भी पढ़ें: Ball Pen: 5 रुपये वाली बॉल पेन की कितनी होती है असली कीमत, कहां जाता है छात्रों का पैसा?
ये भी पढ़ें: टॉप के इन 5 मल्टीबैगर शेयरों ने दिया है बंपर रिटर्न, निवेशक हो गए मालामाल
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.