Babita Kumari : साधारण परिवार, असाधारण जज्बा
बबीता झारखंड के दुमका जिले के मसलिया प्रखंड स्थित मणिपुर गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता एक प्राइवेट स्कूल में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं और मां गृहिणी हैं. आर्थिक स्थिति कमजोर थी लेकिन पढ़ाई के प्रति लगन बेहद मजबूत. ना कोचिंग, ना ट्यूटर का सहारा लिया बस बबीता ने खुद Google, YouTube और Telegram से पढ़ाई कर तैयारी की.
यह भी पढ़ें- JPSC Success Story 2025: धनबाद की सुदीती ने हासिल की जेपीएससी में 111वीं रैंक, DU से की है पढ़ाई
शिक्षा की शुरुआत से लेकर जेपीएससी तक (Success Story)
बबीता ने शुरुआत में जनरल कंपटीशन की तैयारी की और बाद में JPSC का सिलेबस देखकर खुद से सिविल सेवा की पढ़ाई शुरू की. हर दिन 5-6 घंटे की पढ़ाई की और अपने खुद के नोट्स बनाए.
- प्राथमिक शिक्षा: सूरज मंडल हाई स्कूल, सरैयाहाट
- इंटरमीडिएट: प्लस टू गर्ल्स स्कूल, दुमका
- ग्रेजुएशन: सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका से BA
संघर्ष के बीच मिला परिवार का साथ (JPSC Success Story)
बबीता ने बताया कि उनके मोहल्ले और समाज में अक्सर कम उम्र में शादी की परंपरा है. लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि जब तक जीवन में कुछ बड़ा नहीं हासिल करेंगी, तब तक शादी नहीं करेंगी. माता-पिता ने भी उनके फैसले का पूरा सम्मान किया और हर कदम पर साथ दिया.
मिठाई के पैसे नहीं थे, चीनी से मनाया जश्न (JPSC Success Story)
जब सफलता मिली तो घर में मिठाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे. लेकिन बबीता और उनके परिवार ने इस ऐतिहासिक दिन को चीनी से ही मिठास में बदल दिया. उनके हौसले और संघर्ष की मिठास किसी भी मिठाई से ज्यादा गहरी थी.
अब अगला लक्ष्य– UPSC
अब बबीता का अगला लक्ष्य UPSC की तैयारी करना है. उन्होंने कहा कि ये तो बस शुरुआत है. वो चाहती हैं कि उनके जैसे आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य बच्चे भी इस प्रेरणा से आगे बढ़ें और अपने सपनों को साकार करें.
समाज के लिए प्रेरणा (JPSC Success Story)
बबीता की इस सफलता से आदिम जनजातीय पहाड़िया समाज में खुशी की लहर है. उनके बुलंद हौसले ने हजारों युवाओं को यह विश्वास दिलाया है कि अगर मेहनत सच्चे दिल से हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं.
यह भी पढ़ें- IGNOU की पहली महिला वाइस चांसलर कौन हैं? प्रोफेसर Uma Kanjilal ने यहां से कंप्लीट की Higher Education