Essay on Birsa Munda in Hindi: बिरसा मुंडा पर निबंध आसान शब्दों में ऐसे लिखें छात्र, मिलेंगे पूरे अंक

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था. धरतीआबा के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा भारत के आदिवासी समाज के महान क्रांतिकारी नायक थे. वह सिर्फ 25 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह खड़ा करने वाले योद्धा बने थे. छात्रों को उनके बारे में जरूर जानना चाहिए. इसलिए इस लेख में Essay on Birsa Munda in Hindi के बारे में बताया जा रहा है.

By Shubham | June 8, 2025 5:21 PM
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Essay on Birsa Munda in Hindi: धरतीआबा के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा भारत के आदिवासी समाज के महान क्रांतिकारी नायक थे. वह सिर्फ 25 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह खड़ा करने वाले योद्धा बने थे. उन्होंने अपने जीवन को आदिवासियों के अधिकार, संस्कृति और पहचान को बचाने में समर्पित कर दिया. आज भी आदिवासी समाज उन्हें श्रद्धा से याद करता है और भगवान का दर्जा देता है. 9 जून को उनकी पुण्यतिथि है और यह दिन स्टूडेंट्स के लिए भी महत्वपूर्ण है उनका योगदान समझने के लिए. इसलिए इस लेख में स्टूडेंट्स के लिए आसान शब्दों में बिरसा मुंडा पर निबंध (Essay on Birsa Munda in Hindi) लिखने के बारे में बताया जा रहा है.

बिरसा मुंडा पर निबंध (Essay on Birsa Munda in Hindi)

बिरसा मुंडा पर निबंध (Essay on Birsa Munda in Hindi) इस प्रकार है-

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था. उनके परिवार ने एक समय ईसाई धर्म अपना लिया था, जिसके बाद बिरसा का नाम दाऊद मुंडा रख दिया गया था. बाद में उन्होंने अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए फिर से आदिवासी धर्म को अपनाया. 1895 में बिरसा मुंडा ने ‘बिरसाइत धर्म’ की स्थापना की, जो आदिवासी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का एक आंदोलन बना. उन्होंने मुंडा विद्रोह सहित कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और आदिवासी समाज को एकजुट किया. अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ उन्होंने जन जागरूकता और सशक्तिकरण की भावना जगाई.

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बिरसा मुंडा पर निबंध (Essay on Birsa Munda in Hindi)

बिरसा मुंडा पर निबंध (Essay on Birsa Munda in Hindi) इस प्रकार है-

प्रस्तावना

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था. बिरसा मुंडा ने ‘मुंडा विद्रोह’ समेत कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. 1895 में बिरसा मुंडा ने ‘बिरसाइत धर्म’ की शुरुआत की, जिसका मकसद आदिवासियों की पुरानी मान्यताओं और परंपराओं को जीवित करना था. यह सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन गया जिसने हजारों आदिवासी लोगों को जोड़ा.

कई आंदोलन का नेतृत्व (Essay on Birsa Munda in Hindi)

बिरसा मुंडा ने ‘मुंडा विद्रोह’ समेत कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और आदिवासी समाज को एकता और अधिकारों की लड़ाई के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अंग्रेजों के शोषण और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों में जागरूकता और आत्मबल की भावना पैदा की. 

भारतीय संसद के संग्रहालय में भी सम्मान (Essay on Birsa Munda in Hindi)

कहा जाता है कि बिरसा मुंडा के किसी करीबी ने उनका ठिकाना अंग्रेजों को बता दिया. उन्हें पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव से पकड़कर रांची जेल लाया गया. भारतीय संसद के संग्रहालय में उनकी तस्वीर लगाई गई है. यह सम्मान आज तक किसी और जनजातीय नेता को नहीं मिला. रांची के कोकर डिस्टिलरी पुल के पास उनका समाधि स्थल बना हुआ है, जहां हर साल हजारों लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं.

उपसंहार (Essay on Birsa Munda in Hindi)

बिरसा मुंडा का जीवन आदिवासी समुदाय के लिए संघर्ष, सम्मान और साहस का प्रतीक बन गया और आज भी वे लोगों के दिलों में धरती आबा यानी धरती के पिता के रूप में बसे हुए हैं.

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