Bhavani Prasad Mishra Jayanti in Hindi: पानी को क्या सूझी…‘पद्मश्री’ भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविताएं पढ़ें यहां

Bhavani Prasad Mishra Jayanti in Hindi: हिंदी साहित्य में सरल और सहज लेखन के लिए 'भवानी प्रसाद मिश्र' को याद किया जाता है. उनका जन्म 29 मार्च 1913 को हुआ था और अब इसी दिन उनकी जयंती मनाई जाती है.

By Shubham | March 29, 2025 5:29 AM
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Bhavani Prasad Mishra Jayanti in Hindi: हिंदी साहित्य में सरल और सहज लेखन के लिए ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ को याद किया जाता है. उनका जन्म 29 मार्च 1913 को हुआ था और अब इसी दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. भवानी प्रसाद मिश्र ने गद्य और पद्य दोनों ही क्षेत्रों में बेहतरीन रचनाएं दी हैं. उन्होंने कई प्रसिद्ध कविताएं लिखीं और साहित्य में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ और ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया था. उनकी कविताओं और उनके बारे में अक्सर छात्रों से पूछ लिया जाता है, इसलिए यहां भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविताएं (Bhavani Prasad Mishra Poems in Hindi) दी जा रही हैं.

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविता (Bhavani Prasad Mishra Poems in Hindi)

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविता (Bhavani Prasad Mishra Poems in Hindi) इस प्रकार है-

पानी को क्या सूझी- भवानी प्रसाद मिश्र

एक दिन मैं नदी के किनारे खड़ा था,

तभी अचानक, पानी ने मुझसे कुछ किया,

पानी ने मुझे धीरे-धीरे समाहित किया,

और मैं उसकी लहरों के साथ बहता गया.

रातभर,

लहरों में खोकर,

मैं उनके साथ नाचता रहा,

और उनके गीतों को महसूस करता रहा.

-भवानी प्रसाद मिश्र.

चिकने लंबे केश- भवानी प्रसाद मिश्र

चिकने, लंबे बाल,

काली और चमकदार आंखें,

फूलों की तरह रंगत वाला शरीर,

फूलों जैसी सुगंध,

समय के अंतराल को चीरती हुई

इच्छाओं की अधीरता.

याद आती हैं ये सारी बातें,

अधैर्य नहीं, फिर भी जागता नहीं.

इन सबके याद आने पर,

अब कोई पश्चात्ताप नहीं होता.

जीवन की झुर्रियों का और

सर्दी-गर्मी के मौसम के बीतने का

दुख नहीं होता.

इसके बजाय, एक शांति सी

मन में उतरती है,

जैसे मौसम बदलने के बाद

उसके फूलों का दुख नहीं रहता.

-भवानी प्रसाद मिश्र.

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविताएं (Bhavani Prasad Mishra Poems in Hindi)

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविताएं (Bhavani Prasad Mishra Poems in Hindi) इस प्रकार हैं-

कवि/वस्तुवाक्य/प्रस्तावना
मैंइदं न मम
दिनकरचिकने लंबे केश
बहुत छोटी जगहघर की याद
उस दिन भीसतपुड़ा के जंगल
एक दो दिन नहींपानी को क्या सूझी
अपने आपमेंमित्र मंडल
अभी घड़ी मेंअकर्त्ता
अनार का मेरा पेड़कुछ सूखे फूलों के
काली है आज की रातपूरे एक वर्ष
सीखूंगाअपमान
फूल गुलाब औरकहीं नहीं बचे
दिन के उजाले के बादसागर से मिलकर
क्या हर्ज हैख्याल की खराबी
जैसे घंटों तकमन में कुछ लेकर
बड़ा मीठा खरबूजाकविता में ही
घूमने जाता हूंकला
आज कोईकोई अलौकिक
काफ़ी दिन हो गयेदुनिया के लिए
चौंका देगी उसेसुबह उठकर
रात-भरमैं अभी
अच्छी थीमैंने पूछा
भूल नहीं सकताऐसे अनजाने
पूरे समारोह सेमैं
अशरीरी एक आवाजएक मां
जैसे पंछी के मारफतकुछ ऐसे ख्याल
एक अनुभवचकित कर देती हैं
शून्य होकरबिना गिने
लता की जड़ऐसा नहीं है
तुमने लिखावह नहीं रहे होंगे
जब आपसुनाई पड़ते हैं
तुमने कुछहवा ने
तुमने अपना हाथहर चीज से
अधूरे हीमैं जानता हूँ
परदों की तरहलो देखो
बाहर निकल गया हूंबुरे नहीं थे
निराकार कोतुम भीतर
बिलकुल फाजिलसालंकार
कारण-अकारणमुझे अफसोस है.

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भवानी प्रसाद मिश्र के बारे में (Bhavani Prasad in Hindi)

प्रसिद्ध कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सीताराम मिश्र और मां का नाम गोमती देवी था. कहा जाता है कि उनके पिता घर पर उन्हें रामायण का पाठ कराते थे और कविता सुनाते थे. भवानी प्रसाद मिश्र को बचपन से ही साहित्यिक माहौल मिला था, जिससे उनका साहित्य के प्रति लगाव बढ़ा. भवानी प्रसाद मिश्र गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे. वे गांधी जी के विचारों के समर्थक थे और युवावस्था से ही उनके विचारों पर काम कर रहे थे. उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में कई दशकों तक काव्य कृतियों का सृजन किया. 20 फरवरी 1985 को 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था.

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