भारत में परीक्षा का इतिहास (First Exam in India in Hindi)
रिपोर्ट्स और रिसर्च के अनुसार, भारत में परीक्षा के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले इसकी शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी. सन् 1853 में ईस्ट इंडिया कंपनी में सिविल सर्वेंट नियुक्त करने के लिए परीक्षाओं की शुरुआत की गई थी और यह एग्जाम लंदन में आयोजित किया जाता था. इस एग्जाम के तहत कैंडिडेट्स को घुड़सवारी टेस्ट भी पास करना होता था. हालांकि बाद में ब्रिटिश सरकार ने इसमें कुछ सुधार किए और एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए लोक सेवा आयोग का गठन किया.
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भारत में परीक्षा प्रणाली की शुरुआत: एक ऐतिहासिक झलक
प्राचीन भारत में परीक्षा की परंपरा कोई नई नहीं थी, जब ज्ञान का मूल्यांकन शास्त्रार्थ और गुरुओं द्वारा ली गई व्यक्तिगत परीक्षा से किया जाता था. प्रारंभिक प्रमाण हमें कलिंग साम्राज्य के दौरान आयोजित कुछ प्रतियोगी प्रक्रियाओं की ओर इशारा करते हैं, जिनका उद्देश्य योग्य प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करना था.
नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे विश्वविख्यात शिक्षण केंद्रों में छात्रों को गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा और दर्शन जैसे विषयों में गहन अध्ययन कर परीक्षाओं के जरिए आंका जाता था.
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में परीक्षा प्रणाली का औपचारिक ढांचा सामने आया. 1857 में जब कलकत्ता विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तो भारत में आधुनिक परीक्षा प्रणाली की नींव रखी गई. इसके बाद मुंबई और मद्रास विश्वविद्यालयों की शुरुआत हुई, जिन्होंने शिक्षण के साथ-साथ मूल्यांकन प्रणाली को भी व्यवस्थित किया.
आजादी के बाद ऐसे होती हैं परीक्षाएं (First Exam in India in Hindi)
आजादी के बाद भारत में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों तक हर स्तर पर परीक्षा प्रणाली लागू की गई. इस समय देश भर में CBSE, ICSE, UPSC, SSC, NEET, JEE जैसी परीक्षाएं करोड़ों छात्रों की क्षमता का आकलन करने के लिए आयोजित होती हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) जैसे संस्थान अब देश की कई प्रमुख परीक्षाएं संचालित करते हैं, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है.
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