इस रिपोर्ट के अनुसार, अपराध की कुल संख्या के आधार पर जरूर उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है — यहां 2022 में 7,03,944 केस दर्ज हुए, जो देशभर के कुल अपराध का लगभग 19.8% है. लेकिन जब बात क्राइम रेट (प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध) की आती है, तो तस्वीर बदल जाती है.
क्राइम रेट में यूपी नीचे, दिल्ली-केरल सबसे ऊपर
उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी (करीब 24 करोड़) को देखते हुए वहां का क्राइम रेट 422.2 रहा, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है. यानी कि यूपी में अपराधों की संख्या भले ही ज्यादा हो, लेकिन प्रति व्यक्ति अपराध दर उतनी अधिक नहीं है.
इस मामले में केरल (661), महाराष्ट्र (465.7) और दिल्ली (1,783.6) जैसे राज्य यूपी से कहीं ऊपर हैं. दिल्ली तो शहरों में सबसे असुरक्षित है, जबकि कोलकाता (103.4) सबसे सुरक्षित शहर माना गया है.
यूपी-बिहार का अपराध आंकड़ों में
- उत्तर प्रदेश: क्राइम रेट – 422.2 (देश में 20वां), महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 65,743 मामले, लेकिन रेट 58.6 (राष्ट्रीय औसत 66.4 से कम).
- बिहार: कुल केस – 3,47,835, क्राइम रेट – 326.9, हत्या के मामलों में दूसरे स्थान पर (2,930 केस).
कहां है सुधार और क्या है चिंता
रिपोर्ट बताती है कि 2022 में देशभर में अपराधों की कुल संख्या में 4.5% की गिरावट आई. हालांकि, साइबर अपराधों में 24.4% और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 4% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
बिहार में पुलिस बल की भारी कमी और ग्रामीण क्षेत्रों की कठिनाइयां अपराध नियंत्रण में बड़ी चुनौती हैं. वहीं यूपी में सांप्रदायिक तनाव और डकैती जैसी घटनाएं प्रमुख चिंता का विषय रहीं.
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