मां ने कपड़े सिलकर उठाया बच्चों के पढ़ाई का खर्च
मुकेश और अभिषेक कुणाल के पिता एक प्राइवेट स्टील फैक्ट्री में काम करते थे और उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. दोनों बेटों की पढ़ाई का खर्च उठा पाना काफी मुश्किल हो रहा था, तब उनकी मां फुलझड़ी देवी ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया. माता पिता दोनों ने संघर्ष में अपनी जिंदगी बिताई लेकिन अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की. अभिषेक और मुकेश के दादाजी स्वर्गीय राम सागर राय का भी हमेशा से एक सपना था कि उनके पोते बड़े होकर अपने गांव का नाम रौशन करें. दोनों भाइयों ने अपने माता पिता के संघर्ष का कर्ज अपनी सफलता से चुकाया. फिलहाल दोनों ही भाई आर्मी में ऑफिसर लेवल पर कार्यरत हैं.
गांव वालों ने मारे ताने
लेफ्टिनेंट अभिषेक कुणाल के पिताजी ने एक बार मीडिया से बातचीत करते हुए ये बताया था कि वे हमेशा से अपने एक बेटे को आर्मी में भेजने का सपना रखते थे. लेकिन उनके गांव वाले उन्हें हमेशा ये ताना देते थे कि उनका कोई भी बेटा कुछ नहीं कर पाएगा. हालांकि उन्होंने गाँव वालों की एक ना सुनी और हमेशा अपने बच्चों का हौसला बढ़ाते रहे.
कई असफलताओं के बाद मिली सफलता
लेफ्टिनेंट कुणाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए ये बताया था कि वे बचपन से ही काफी चंचल थे. उन्होंने दो एनडीए की परीक्षा दी लेकिन दोनों ही बार वे नाकामयाब हो गए. इसके बाद साल 2012 में उनका सिलेक्शन आर्मी मेडिकल कोर में हुआ. दोनों ही भाई अपने कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता को देते हैं. इन दोनों भाइयों की सफलता की कहानी सिर्फ उनके गांव के लिए ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के लिए एक मिसाल है.
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