प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद व मौलाना मजहरूल हक की धरती सीवान लोकसभा सीट इस बार मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को लेकर काफ चर्चा में रहा. यहां एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी विजयलक्ष्मी कुशवाहा और महागठबंधन से राजद के अवध बिहारी चौधरी में आमने-सामने का मुकाबला था. लेकिन हेना शहाब की निर्दलीय उम्मीदवारी ने यहां के मुकाबले को रोचक कर दिया.
सीवान की चुनावी जंग इस बार जेडीयू के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई क्योंकि इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद कविता सिंह की जगह विजयलक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा जो कि कुशवाहा जाति से आती हैं. वहीं पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब के निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की वजह से यह सीट आरजेडी के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बन गई क्योंकि शहाबुद्दीन कई बार आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़कर यहां से जीत चुके हैं और हेना शहाब भी आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं.
दिवंगत बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की वजह से हमेशा से सीवान लोकसभा क्षेत्र चर्चा में रहा है. यहां हुए 16 लोकसभा चुनावों में आठ बार मुस्लिम प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. यहां के मतदाताओं ने दो उम्मीदवारों को चार-चार बार विजयी बनाया है और कई बार दलों से नाराजगी जताते हुए निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन किया है.
चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां 1957 से 1984 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. पहले चुनाव से लेकर लगातार चार बार कांग्रेस को ही जीत मिली. 1957 के पहले लोकसभा चुनाव में झूलन सिन्हा ने बाजी मारी. इसके बाद वर्ष 1962 से लेकर 1971 तक के लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के मोहम्मद यूसुफ ने विजयी होकर जीत की हैट्रिक लगायी. 1977 का चुनाव हारने के बाद 1984 में एक बार फिर कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की.
1989 में भाजपा के जनार्दन तिवारी ने यह जीत दर्ज की. 1991 से 2004 तक जनता दल और राजद के उम्मीदवार विजयी रहे. 2009 का चुनाव ओमप्रकाश यादव ने निर्दलीय जीत कर रिकार्ड बनाया. वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा से ओमप्रकाश यादव ने फिर जीत हासिल की. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के ही घटक दल जदयू की कविता सिंह को जीत मिली.
मो शहाबुद्दीन की बात करें तो उन्होंने सीवान से कोई लोकसभा चुनाव नहीं हारा. इस सिर से वो 1996,1998,1999 व 2004 के चार लोकसभा चुनावों में लगातार जीते. इसके बाद एक आपराधिक मामले में कोर्ट से सजा हो जाने पर वे चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिये गये. वहीं 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मो शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब भी मैदान में राजद के टिकट पर उतरी लेकिन वो चुनाव जीत नहीं पाई.