della bella badlegi kahani movie :वेव्स ऑरिजिनल्स पर बीते 18 जुलाई से फीचर फिल्म ‘डैला बैला: बदलेगी कहानी’ स्ट्रीम हो रही है. इस फिल्म से अभिनेत्री आशिमा वर्धन जैन ने हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की है. वह बहुत खुश हैं कि उन्होंने इस तरह की फिल्म से शुरुआत की है , जिसमें युवा पीढ़ी के लिए सशक्त सन्देश है साथ ही नारी सम्बन्धी रूढ़िवादी सोच को भी यह कहानी चुनौती देती है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
‘डैला बैला’ से निजी जिंदगी में आप कितना जुड़ाव महसूस करती हैं ?
अपने किरदार की तरह हंसती खेलती रहती हूँ. मैं भी बहुत चुलबुली हूं. अपने परिवार और दोस्तों से बहुत अटैच रहती हूँ. लाइफ में मैं भी कुछ अच्छा और बड़ा करना चाहती हूं. मैं हेड स्ट्रांग लड़की हूँ. मुझे क्या करना है. इसके फैसले सच में मैं ही लेती हूं, लेकिन समझदार लोगों के अनुभव से सीख और उनकी सलाह भी लेती हूँ.
यह आपकी डेब्यू फिल्म है क्या शूटिंग में नर्वस थी ?
हां यह मेरी पहली फिल्म है लेकिन मैं जब नौ साल की थी, तब से मैं विज्ञापन फिल्मों में काम कर रही हूँ। मैंने लेजेंडरी एक्टर्स के साथ स्क्रीन शेयर की है. जिसमें अक्षय कुमार सर, सुनील शेट्टी सर मोहनलाल सर, वेंकटेश सर, मिथुन चक्रवर्ती सर, मानव गोहिल सर और स्व. पुनीत राजकुमार जी और स्व. रीमा लागू जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं. वॉइस ओवर आर्टिस्ट भी रही हूँ. बचपन में मैं हमेशा से स्कूल कॉम्पिटिशन का हिस्सा बनती रही हूँ. स्कूल-कॉलेज के स्टेज शो का हिस्सा रही हूँ. कुलमिलाकर एक्टिंग का क्षेत्र मेरे लिए नया नहीं है.
आपने बचपन में कोई फिल्म या सीरियल किया था ?
नहीं, विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग दो से तीन दिन में पूरी हो जाती है , जबकि सीरियल में आपको कई दिन देने पड़ते हैं, इसके लिए मैं और मेरी फॅमिली तैयार नहीं थी. पढाई हमेशा से मेरी प्राथमिकता रही है. मुझे पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है। मैं ने मुंबई के सेंट जेवियर्स से बैचलर्स ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज का कोर्स किया है. उसमें 13 ही जनरल सीट होती है. एंट्रेंस एग्जाम होता है. इंटरव्यू होता है. उसके बाद चुना जाता है। मैंने ढाई साल पहले ही अपना कॉलेज खत्म किया है.
क्या फिल्म से जुड़ने से पहले एक्टिंग की ट्रेनिंग लेनी पड़ी ?
बचपन में जो मैं 30 सेकेंड की एड फिल्म करती थी. उसमें आपको हर फ्रेम में परफेक्ट होना पड़ता है. आपको बहुत रिफ़ाइन होकर काम करना पड़ता है. बचपन से ही ये काम कर रही हूँ, इसीलिए मुझे एक्टिंग में ट्रेनिंग की जरुरत नहीं पड़ी थी. इसके साथ ही आप जैसे जैसे बड़े होते हैं, आसपास की चीजों से आप सीखते हैं. आखिरकार एक्टिंग ऑब्ज़र्व करने का दूसरा नाम है. मेरे साथ भी यही हुआ. हाँ एड फिल्म के मुकाबले आपको यहाँ लम्बे डायलॉग याद करने पड़ते हैं लेकिन जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि मेरा बचपन से स्टेज से नाता रहा है तो सोने से पहले या उठने के बाद अपनी लाइनें याद करने की मेरी आदत है तो वह आदत यहाँ भी काम आयी.
इस फिल्म की शूटिंग अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगी ?
जब आप किसी फिल्म से जुड़ते हैं और वो भी लीड भूमिका में तो आपको लगता है कि आपको ऐसा करने को मिलेगा वैसा करने को मिलेगा. मेरी ये फिल्म निर्देशक नीलेश जैन द्वारा संकल्पित ‘सिंपल सिनेमा’ का प्रतिनिधित्व करती है. यही वजह है कि फिल्म की कहानी और उसका ट्रीटमेंट पूरी तरह से सिंपल और रिअलिस्टिक रखा गया है. मेरे ओपनिंग सीन में मैं शावर लेकर बाहर आ रही हूं. मुझे लगा मेरा ओपनिंग सीन है तो थोड़ा मेकअप कर लूं लेकिन निर्देशक ने कहा कि लड़की नहाकर आयी है. मेकअप थोड़े ना रहेगा. एंट्री सीन में बाल उड़ते नहीं मुझे फिसलकर गिरते दिखाया गया है. फिल्म में मेरा गाना डेल्ला बेल्ला है. सोलो गाना है तो ग्लोरियस होगा , लेकिन उसका ट्रीटमेंट भी बहुत सादा है. निर्देशक ने कहा कि लड़की के पैर में चोट लगी है तो वह सिंपल डांस करेगी।इस फिल्म को बहुत ही ज्यादा रिअलिस्टिक ट्रीट किया गया है, जो इसको खास बनाता है.
दर्शकों से आपको क्या कहना है?
ये एक बेहद मनोरंजक और पारिवारिक फिल्म है, जो बहुत पॉजिटिव, प्रोग्रेसिव और सॉलिड मेसेज देती है. इसीलिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वेव्स ओटीटी की पहली ओरिजिनल फिल्म के रूप में ये फिल्म चुनी गई है. ये फिल्म युवा पीढ़ी को बताती है कि अपनी पहचान खुद से बनानी चाहिए. किसी के रोकने से भी रोकना नहीं चाहिए। इसके साथ ही यह माता पिता को भी बताती है कि बच्चों के साथ चलने की कोशिश करें. वरना बहुत पीछे रह जाएंगे।यह फिल्म वेव्स ओटीटी पर मौजूद है.यह फिल्म दूरदर्शन पर भी दिखाई जाएगी. आशा है दुनिया भर से जो प्यार और रिस्पांस इस फ़िल्म को मिल रहा है वो हर दिन बढ़ता जाएगा.