फिल्म :युध्रा
निर्माता :एक्सेल एंटरटेनमेंट
निर्देशक :रवि उद्यावर
कलाकार -सिद्धांत चतुर्वेदी, मालविका मोहनन,राघव जुयाल, राज अर्जुन,राम कपूर, गजराज राव,शिल्पा शुक्ला और अन्य
प्लेटफार्म :सिनेमाघर
रेटिंग:दो
yudhra movie review:लार्जर देन लाइफ एक्शन फिल्मों का दौर वापस लौट आया है.हर एक्शन फिल्म एक्शन जॉनर में अपना नया बेंचमार्क स्थापित करना चाहती है. इसी फेहरिस्त में फिल्म युध्रा भी है.फिल्म का बाइक सीक्वेंस, बाय साइकिल पार्कोर सीन यादगार है. परदे पर वह एक अलग ही लेवल का रोमांच जगाते हैं,लेकिन इस फिल्म के मेकर्स ने फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले में उस रोमांच की पूरी तरह से अनदेखी कर दी है.फिल्म की कहानी रटी रटायी है. जिस वजह से यह स्टाइलिश एक्शन फिल्म परदे पर वह प्रभाव नहीं ला पायी है, जो एक मनोरंजक एक्शन फिल्म की जरुरत होती है.
बदले की है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह युध्रा (सिद्धांत चतुर्वेदी )की कहानी है, जिसके माता पिता की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है. उसके पिता एक जाबांज पुलिस इंस्पेक्टर थे.युध्रा की परवरिश उसके पिता के दोस्त कार्तिक (गजराज राव )ने की है,लेकिन बचपन से ही युध्रा को एंगर इशू है. वह गुस्से में किसी को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है.जिसकी वजह से उसे स्कूल से लेकर नेशनल कैडेट की ट्रेनिंग सभी से निकाला गया है.उसके पिता के दोस्त रहमान (राम कपूर )उसके गुस्से का सही इस्तेमाल करने की सीख देते हुए उसे पुलिस का अंडर कवर एजेंट बनकर भारत में ड्रग्स के सिंडिकेट के खात्मा करने को कहता है और यह भी बताता है कि ड्रग्स के माफिया ही उसके माता पिता की मौत के जिम्मेदार थे. वह रोड एक्सीडेंट नहीं बल्कि मर्डर था.जिसके बाद बदला लेने के मिशन पर युध्रा जुट जाता है, लेकिन यह मिशन इतना आसान नहीं है क्योंकि इन सब में उसका कोई अपना भी शामिल है. क्या वह उसे पहचान कर ड्रग के सिंडिकेट को भारत में खत्म कर पायेगा. इसी की आगे की कहानी फिल्म है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह आपको कई फिल्मों की याद दिलाएगा.कहानी में नयापन नहीं है.अब तक ऐसी कहानियों पर हम कई फिल्में देख चुके हैं. फिल्म का सस्पेंस चौंकाता नहीं है. वह पहले से ही आपको पता होता है.कहानी की खामियों की बात करें तो फिल्म की कहानी का मूल आधार है कि युध्रा के किरदार का एंगर इशू है, लेकिन स्क्रीनप्ले में इसकी कोई ठोस वजह नहीं दिखाई गयी है.बस एंगर इशू को कहानी में जोड़ दिया गया है.बचपन में 5 मिनट तक ऑक्सीजन दिमाग में नहीं पहुँचने की वजह से बात कह कर.फिल्म में गजराज राव का किरदार क्यों युध्रा का पालन पोषण का भार उठाता है.उसका इसमें हित क्या था. इस पर फिल्म में संवाद भर भी जिक्र नहीं हुआ.सिद्धांत और मालविका की प्रेम कहानी को भी स्क्रीनप्ले में सही ढंग से उकेरा नहीं गया है.मालविका अपनी सहेली की बात सुनकर सिद्धांत से प्यार करने लगती है.फिल्म में प्यार और इमोशन दोनों ही बहुत सतही रह गया है.यह एक रिवेंज की कहानी भी है, लेकिन कमजोर लिखावट उस पहलू को भी उभार नहीं पायी है.फिल्म की एकमात्र यूएसपी इसका एक्शन है. बाइक सीक्वेंस वाला सीन यादगार है.पुर्तगाल के म्यूजिक शॉप पर भी एक्शन की कोरियोग्राफी प्रभावी है.गीत संगीत की बात करें तो कुछ भी यादगार नहीं बन पाया है.फिल्म के संवाद भी ओके टाइप के ही रह गए हैं.फिल्म की सिनेमेटोग्राफी जरूर अच्छी है.
कलाकारों के अभिनय ने कमजोर कहानी को संभाला
अभिनय की बात करें तो युध्रा की शीर्षक भूमिका को सिद्धांत चतुर्वेदी ने पूरे स्वैग और स्टाइल से जिया है.राघव जुयाल, राज अर्जुन और राम कपूर भी अपनी भूमिका के साथ इम्प्रेस किया है.राघव को थोड़ा और स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था. फिल्म देखते हुए आपको यह बात महसूस होती है कि कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले को मंझे हुए एक्टर्स ने बखूबी संभाला है.शिल्पा शुक्ला को पूरी तरह से वेस्ट किया गया है तो मालविका मोहनन और गजराज राव ने अपनी भूमिका में सधा हुआ काम किया है.
—
Son Of Sardar 2 Movie Review:टुकड़ों में फिल्म एंटरटेन करती है
Dhadak 2 Movie Review :दिल को छू जाती है दलित संघर्ष पर बनी यह लव स्टोरी फिल्म
Sarzameen Movie Review:इस सरजमीन से दूर रहने में ही है फायदा..
Saiyaara Movie Review:इस इमोशनल प्रेम कहानी में म्यूजिक और कलाकारों का परफॉरमेंस है मैजिक