परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥
इस श्लोक के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति जो अपने आप को आपका दोस्त बतलाता है और पीठ पीछे आपकी बुराई करता हो ऐसे व्यक्ति से सावधान रहना चाहिए. ऐसे व्यक्ति की तुलना उस घड़े के समान है जो दूध से भरा हो मगर अंदर में जहर होता है.
मीठी बातें करने वाले से सावधान
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति आपके सामने आपकी बड़ाई करता है और मीठी बातों से आपका दिल जीत लेता है. मगर ये व्यक्ति पीठ पीछे आपके बारे में अफवाह उड़ाता है और आपकी बुराई करता है. ऐसे व्यक्ति से सावधान रहें क्योंकि ये व्यक्ति कभी भी आपका हित नहीं चाहता है. चाणक्य नीति के मुताबिक, ऐसा मित्र विष से भरे घड़े के जैसा होता है जिसके ऊपर दूध डाल दिया गया हो यानी इंसान अपनी वास्तविक पहचान को छुपा रहा हो. ऐसे व्यक्ति का साथ तुरंत ही छोड़ दें.
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ऐसे लोगों पर विश्वास करना पड़ता है भारी
मित्रता के ऊपर आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी के ऊपर बहुत अधिक विश्वास हानि का कारण बन सकता है. दोस्त के साथ भी अपने जीवन से जुड़ी जरूरी और गुप्त बातों को बताने से बचें. कुछ लोगों की आदत होती है आपकी बातों को दूसरों के सामने उजागर कर देने की. ऐसे लोगों का कोई भरोसा नहीं होता है कब लालच या फिर स्वार्थ में आकर आपका फायदा उठा सकता है.
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