अपने को जितना छुपाएंगे उतना ही पाएंगे तरक्की
चाणक्य की मानें तो अपनी राज को आप जितना छुपाएंगे, उतना ही आप मान सम्मान पाएंगे. क्योंकि आचार्य की मानें तो हर बात बॉस या कलीग्स के साथ शेयर करना बुद्धिमानी नहीं होती. अपनी तरक्की की योजना, स्किल डेवलपमेंट या प्रोजेक्ट आइडिया को तब तक छुपाकर रखें, जब तक आप उसमें परिपक्व न हो जाएं. इससे न सिर्फ आप आलोचना से बचेंगे बल्कि मौका आने पर एक ताकतवर शख्स बनकर उभरेंगे.
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बुद्धिमान वही है जो समय देखकर बोले
चाणक्य ने कहा था कि मूर्ख वह नहीं जो कम जानता है, बल्कि वह है जो हर समय बोलता है. ऑफिस मीटिंग्स में चुप रहना कमजोरी नहीं है. सही समय पर सही बात कहना ही आपको प्रोफेशनल रूप से परिपक्व बनाता है.
शत्रु की शक्ति जानो, फिर योजना बनाओ
अगर ऑफिस में कोई आपकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है, तो बिना होश खोये उसकी कार्यशैली, सोच और कमजोरियों को पहचानें. चाणक्य का स्पष्ट मानना था कि शत्रु का विश्लेषण कर ही अपनी रणनीति बनाना चाहिए.
बॉस की नकल नहीं, उनकी सोच समझो
चाणक्य कहते हैं कि “एक लीडर की पहचान उसके विचारों से होती है, न कि उसकी आवाज से.” अपने बॉस के काम करने का तरीका जानें, उनकी प्राथमिकताओं को समझें. इससे आप उनके भरोसेमंद बनेंगे. साथ ही साथ आपके लिए आगे का अवसर खुद ब खुद खुलेगा.
स्वयं को इतना दक्ष बनाओ कि आपका विकल्प ही न बचे
चाणक्य ने आगे बढ़ने के लिए विद्या को ही सबसे मूल मंत्र बताया है. उनका मानना था कि विद्या इंसान की सबसे बड़ी शक्ति है. इसलिए ऑफिस में अपने स्किल्स को लगातार अपडेट करें. टेक्निकल, कम्युनिकेशन और मैनेजमेंट स्किल्स में आगे रहें ताकि बॉस भी आपकी अनदेखी न कर सके.
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