Chanakya Niti: जितना हो सके खुद को इन 3 चीजों से रखें दूर

चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति दूसरों की निंदा करता है और अपनी ही तारीफों में डूबा रहता है, वह समाज में अपना सम्मान खो देता है और आत्मविकास से दूर हो जाता है.

By Pratishtha Pawar | July 3, 2025 10:20 AM
an image

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों में जीवन के हर पहलू को दिशा देने वाली बातें शामिल हैं. चाणक्य ने मनुष्य को समाज में मर्यादित, सम्मानित और सफल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए. उन्हीं में से एक उपदेश है कि व्यक्ति को अपनी आत्म-विकास यात्रा में कुछ बातों से हमेशा दूर रहना चाहिए.

Chanakya Niti: चाणक्य कहते हैं

जो व्यक्ति अपनी प्रशंसा में डूबा रहे, दूसरों की निंदा करे और दूसरों के दोष देखने में समय नष्ट करे, वह अपने जीवन में कभी सच्ची शांति और सफलता प्राप्त नहीं कर सकता.

जीवन में सफलता के मंत्र : किन चीजों से दूर रहने की सलाह देते हैं आचार्य चाणक्य और क्यों

1. अपनी तारीफ करने से बचें

चाणक्य के अनुसार अपनी स्वयं की प्रशंसा करना अहंकार को जन्म देता है. जो व्यक्ति अपनी ही तारीफों के पुल बांधता रहता है, वह धीरे-धीरे समाज में अपनी छवि बिगाड़ लेता है. ऐसे लोग दूसरों की नजरों में विश्वास खो बैठते हैं क्योंकि लोग उन्हें आत्ममुग्ध और दिखावटी समझते हैं. चाणक्य मानते हैं कि सच्चा सम्मान वह है जो दूसरों से मिले, न कि अपनी जुबान से बोला जाए.

क्यों दूर रहें

  • इससे समाज में आपकी छवि खराब होती है.
  • यह आपके विकास में बाधा बनता है.
  • यह विनम्रता को नष्ट कर देता है.

2. दूसरों की निंदा न करें

चाणक्य नीति में स्पष्ट लिखा है कि दूसरों की बुराई करने वाला व्यक्ति अंततः स्वयं अपयश का पात्र बनता है. जो लोग हमेशा दूसरों की गलतियां गिनाने में लगे रहते हैं, वे अपने अच्छे गुणों को भी धूमिल कर लेते हैं.

क्यों दूर रहें

  • निंदा करने से आपकी सोच नकारात्मक हो जाती है.
  • समाज में आपके प्रति अविश्वास और द्वेष की भावना जन्म लेती है.
  • यह आपके समय और ऊर्जा का गलत उपयोग है.

3. परदोष दर्शन से बचें

चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति सदा दूसरों के दोष खोजने में लगा रहता है, वह अपने दोषों को कभी नहीं देख पाता. परदोष दर्शन करने वाला व्यक्ति आत्ममंथन नहीं कर पाता और जीवन में आत्म सुधार की प्रक्रिया रुक जाती है.

क्यों दूर रहें

  • यह आपकी आत्मविकास की यात्रा में बाधा बनता है.
  • यह समाज में आपको आलोचक के रूप में स्थापित कर देता है.
  • यह मानसिक शांति को नष्ट करता है.


अगर व्यक्ति इन तीन बुरी आदतों – अपनी तारीफ, दूसरों की निंदा और परदोष दर्शन से खुद को दूर रखे तो न केवल उसका जीवन सुखी होगा बल्कि समाज में उसका सम्मान भी बढ़ेगा.
– आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य की इस सीख को अपने जीवन में अपनाकर हम सच्चे अर्थों में सफल और संतुलित जीवन जी सकते हैं.

Also Read: Chanakya Niti: समाज आपकी औकात नहीं आपकी दौलत देखता है

Also Read: Chanakya Niti: व्यक्ति को जान से भी प्यारी होती हैं ये 3 चीजें

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता 

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Life and Style

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version