सोच-समझकर बोलें
चाणक्य कहते हैं कि शब्दों में अग्नि और अमृत दोनों की ताकत होती है. जब भी कुछ कहें, तो सोचें कि वह सामने वाले पर क्या असर डालेगा. मीठा बोलना अच्छी बात है, लेकिन जरूरत से ज्यादा मीठा बनना भी नुकसान कर सकता है. हर परिस्थिति में संयम और विवेक से बोलना ही समझदारी है.
सही संगति चुनें
जीवन में आप किसके साथ रहते हैं, उसका सीधा असर आपकी सोच और फैसलों पर पड़ता है. चाणक्य मानते थे कि गलत संगति इंसान को बर्बादी की ओर ले जाती है. अच्छे और बुद्धिमान लोगों की संगत व्यक्ति को दिशा और प्रेरणा देती है. इसलिए मित्र चुनते समय हमेशा सोच-समझकर निर्णय लें.
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समय की कीमत पहचानो
चाणक्य के अनुसार समय ही सबसे बड़ा धन है, जो एक बार चला गया तो लौटकर नहीं आता। जो लोग समय का दुरुपयोग करते हैं, उन्हें जीवन में पछताना पड़ता है. हर काम का एक सही समय होता है, और उसे पहचानना ही सफलता की कुंजी है. अपने हर पल को मूल्यवान समझकर उपयोग करें.
भावनाओं में बहकर निर्णय ना लें
भावनाएं इंसान की ताकत भी हैं और उसकी कमजोरी भी बन सकती हैं. चाणक्य कहते हैं कि क्रोध, मोह या डर में लिया गया निर्णय अक्सर जीवन में बड़ी गलती बन जाता है. सही निर्णय वही होता है जो ठंडे दिमाग और सोच-समझ के बाद लिया गया हो. इसलिए बड़ी बातों पर फैसला लेते समय दिल नहीं, दिमाग से काम लें.
दूरदर्शी बनो, सिर्फ आज मत देखो
आज के छोटे फायदे के पीछे भागना कई बार भविष्य को नुकसान पहुंचा देता है. चाणक्य की नीति हमें सिखाती है कि हमें हर फैसले का दूरगामी असर भी सोचना चाहिए. जो व्यक्ति केवल वर्तमान देखता है, वह लंबे समय तक सफल नहीं रह सकता. दूरदर्शी सोच ही आपको स्थायी सफलता और सम्मान दिला सकती है.
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