मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्यं चापि नियोजयेत्॥
इस श्लोक के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी मन में सोची हुई बात को दूसरों के सामने उजागर नहीं करना चाहिए. आगे आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इस तरह की बात को मंत्र की तरह गुप्त रखकर उस काम को करना चाहिए.
छुपाकर रखें ये बात
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर आप जीवन में किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो उसके ऊपर अकेले में ही मेहनत करना उचित होगा. अगर आप इस बात को दूसरों से बता देते हैं तो ये आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. मान लीजिए अगर आप इस कार्य में असफल होते हैं तो लोग आपका मजाक उड़ा सकते हैं. मेहनत बिना किसी को बताए करना चाहिए.
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हानि भी हो सकती है
चाणक्य नीति के अनुसार, पहले ही अपने लक्ष्य का जिक्र करने से लोग आपके काम में रुकावट पैदा कर सकते हैं. अगर आप दूसरों को अपना प्लान बता देते हैं तो आपके मन में काम पूरा होने की धारणा बन जाती है. ये धारणा काम को लेकर बाधा बन सकता है. आचार्य चाणक्य अपने काम को मंत्र की तरह गुप्त रखने की सलाह देते हैं.
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