अज्ञानी व्यक्ति (अशिक्षित और अनुभवहीन)
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति की सलाह, जो ना पढ़ा-लिखा हो और ना ही किसी विषय में अनुभव रखता हो, आपको भ्रमित कर सकती है. यह व्यक्ति भले ही नेक इरादों से कुछ कहे, लेकिन उसकी बातों में व्यावहारिक ज्ञान की कमी होती है. इसलिए यदि आप किसी विशेष निर्णय पर विचार कर रहे हैं, तो विशेषज्ञ या अनुभवी व्यक्ति से ही राय लें.
स्वार्थी व्यक्ति
स्वार्थी व्यक्ति हमेशा अपनी भलाई पहले सोचता है, चाहे दूसरों का नुकसान ही क्यों न हो. ऐसे लोग आपको ऐसी सलाह दे सकते हैं जो देखने में अच्छी लगे लेकिन आपके लिए हानिकारक हो. चाणक्य कहते हैं, ऐसे लोगों से दूर रहना ही बुद्धिमानी है.
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डरपोक या नकारात्मक सोच वाला
जो व्यक्ति हर समय डर और नकारात्मकता से घिरा रहता है, वह आपको भी वही सोच देने की कोशिश करेगा. ऐसे लोग किसी भी चुनौती का सामना करने की जगह उससे भागने की सलाह देते हैं. चाणक्य मानते हैं कि ऐसे लोगों की सलाह से आत्मविश्वास की जगह भ्रम पैदा होता है.
अत्यधिक भावुक या भावनाओं में बहने वाला
जो व्यक्ति हर निर्णय भावनाओं के आधार पर लेता है, वह तटस्थ और तर्कसंगत सलाह नहीं दे सकता. भावनाओं में बहकर दी गई सलाह अक्सर व्यावहारिकता से दूर होती है. चाणक्य के अनुसार, जीवन में ठोस निर्णय लेने के लिए संतुलित और विवेकपूर्ण सोच जरूरी होती है.
ईर्ष्यालु या द्वेष रखने वाला व्यक्ति
जो व्यक्ति आपके प्रति जलन या द्वेष की भावना रखता है, उसकी सलाह आपको आगे बढ़ने से रोक सकती है. वह आपको गलत सलाह देकर असफल होते देखने की इच्छा रख सकता है. ऐसे लोगों से सलाह लेना स्वयं के पतन को न्योता देना है.
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