शादी को लेकर क्या कहती है चाणक्य नीति, सही जीवनसाथी का इस तरह करें चुनाव
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने स्त्री-पुरुष के गुणों और अवगुणों के बारे में बात की है. इसके साथ ही उन्होंने शादी को लेकर भी बात की है.
By Shashank Baranwal | March 26, 2025 8:26 AM
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ कुशल रणनीतिकार, राजनीतिज्ञ और नीतिशास्त्री थे. उनकी गिनती एक आदर्श शिक्षक के रूप में होती है. उन्होंने अपनी सूझ-बूझ और जीवन के अनुभवों को एक ग्रंथ में समाहित की है, जो कि चाणक्य नीति के नाम से प्रसिद्ध है. चाणक्य नीति में समाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, निजी संबंधों से जुड़े जीवन के विभिन्न विषयों से संबंधित नीतियां बताई है. ये नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी प्रचीन समय में थी. ये नीतियां लोगों का मार्गदर्शन करती है. इस ग्रंथ में उन्होंने स्त्री-पुरुष के गुणों और अवगुणों के बारे में बात की है. इसके साथ ही उन्होंने शादी को लेकर भी बात की है. चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के एक श्लोक में वह कहते हैं कि
वरयेत्कुलजां प्राज्ञो निरुपामपि कन्यकाम। रुपवतीं न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।
आचार्य चाणक्य शादी को लेकर कहते हैं कि सौंदर्य और कुल में प्राथमिकता कुल को देते हैं. इस श्लोक के जरिए वह कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति को सौंदर्य और रूपवती महिलाओं की अपेक्षा श्रेष्ठ कुल में जन्मी लड़कियों से शादी करनी चाहिए. निम्न कुल में जन्मी लड़कियां चाहे जितनी रूपवती क्यों न हो उनसे शादी नहीं करनी चाहिए. वह महिला चाहे जितनी ही सुंदर क्यों न हो ऐसा नहीं करना चाहिए. शादी में दूल्हे और दुल्हन दोनों का घराना समान ही रहे, तो ही बेहतर होता है.
समान कुल में शादी न होने पर वह शादी बेमेल मानी जाती है. ऐसे में बेमेल विवाह होने पर जिंदगी में कई सारे कष्ट पैदा होते हैं. जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा होती है. इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि विवाह समान कुल में ही शोभा देती है.