Chanakya Niti: व्यक्ति को भीतर से खा जाते हैं ये दुख, पूरी तरह से टूट जाता है इंसान

Chanakya Niti: सभी लोगों के जीवन में दुख जरूर होता है. मगर कुछ दुख ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को अंदर से तोड़ कर रख देते हैं और इस स्थिति को कोई समझ नहीं पाता है. चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने इन दुखों के बारे में बताया है.

By Sweta Vaidya | April 17, 2025 8:10 AM
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Chanakya Niti: जीवन में सुख और दुख लगा रहता है. व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए दुख को छोड़कर आगे बढ़ने पड़ता है. चाणक्य नीति में व्यक्ति के दुखों और उसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. चाणक्य नीति में सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े कई बातों का जिक्र मिलता है. ये बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य को एक कूटनीतिज्ञ और एक बेहतरीन रणनीतिकार माना जाता है. आचार्य चाणक्य को कुशलता और ज्ञान के लिए आज भी लोग मानते हैं. चाणक्य नीति में ऐसी कई बातें हैं जो मुश्किल समय में लोगों का मार्गदर्शन करने में सहायक है. चाणक्य नीति के अनुसार,

कांतावियोग स्वजनापमानो ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।

दरिद्रभावो विषया सभा च विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम् । । 

ये श्लोक चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय में है. इसमें 6 दुखों के बारे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि पत्नी से अलग होना, कर्ज को न चुका पाना, अपमानित होना, गरीबी और गलत लोगों का साथ व्यक्ति के लिए दुख का कारण है और व्यक्ति को ये दुख अंदर ही अंदर जला देते हैं. आइए जानते हैं इन दुखों के बारे में विस्तार से.

पत्नी को खोना- आचार्य चाणक्य के अनुसार, कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को खो देता है या अपने प्रिय से अलग हो जाता है तो ये एक बहुत बड़ा दुख है. इस दुख को कोई दूसरा समझ नहीं पाता है. 

अपनों के द्वारा अपमानित होना- चाणक्य नीति के मुताबिक, व्यक्ति अपने अपमान को कभी भी भूल नहीं पाता है. ये बात उसे अंदर से बेचैन करती रहती है. अगर व्यक्ति का अपमान अपनों के द्वारा किया गया हो तो ये स्थिति और भी कष्ट पहुंचाती है. 

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कर्ज का बोझ- पैसे की जरुरत सभी को होती है. कभी किसी कारणवश दूसरों से कर्ज लेना पड़ता है. अगर आप समय पर कर्ज को लौटा नहीं पाते हैं तो आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान के लिए ये एक बड़े दुख का कारण है. 

बेईमान के साथ काम करना- अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करते हैं जिसमें ईमानदारी नहीं है और उसका आचरण भी अच्छा नहीं है तो ये परिस्थिति भी दुखदायी है. 

गरीबी- चाणक्य नीति में गरीबी को एक बड़ा दुख माना गया है. आचार्य चाणक्य के अनुसार गरीबी के कारण व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना पड़ता है और इसका मानसिक प्रभाव भी व्यक्ति के ऊपर पड़ता है. 

गलत लोगों का साथ- अगर कोई सजन्न व्यक्ति गलत लोगों की सभा में चला जाए तो उसे वहां अपमानित किया जाता है और ये बात उस व्यक्ति को पीड़ा देती है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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