Chanakya Niti: चाणक्य के इन उपायों से दें अपमान का जवाब, सामने वाला बाप बाप कहेगा

Chanakya Niti: अगर कोई बार-बार आपको अपमानित कर रहा है और आप यह सोच रहे हैं कि इसका सही और प्रभावी जवाब कैसे दिया जाए, तो यह लेख आपके लिए है. आचार्य चाणक्य की नीतियों से जानिए कब चुप रहना है और किस वक्त बोलकर सामने वाले को उसका स्थान दिखाना है.

By Sameer Oraon | July 3, 2025 4:24 PM
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Chanakya Niti: कभी कभी इंसान की जिंदगी में ऐसा मोड़ आता है जब वह किसी के अपमानित करने पर दुखी हो जाता है. वह इसका मुंह तोड़ जवाब देने का सोचता है लेकिन समझ नहीं पाता है कि लोगों को इसका उत्तर कैसे दें. लेकिन आचार्य चाणक्य ने हजारों साल पहले ही ऐसे लोगों से डील करने का तरीका बता दिया था. उनका बताया गया मंत्र इतना कारगर है कि राजनीति हो या व्यक्तिगत जीवन हर क्षेत्र में प्रभावी है. आज हम उनके वैसे मंत्र के बारे में जानेंगे जो हमें बताएगा कि अपमान का बदला कब और कैसे लेना है.

कभी-कभी चुप रहना समझदारी है, लेकिन हर बार नहीं

जब भी कोई किसी को अपमानित करता है तो अपमान सहने वाला इंसान चुप रह जाता है. उन्हें लगता है कि वह ऐसा करके बड़ा बन रहा है. लेकिन आचार्य चाणक्य की मानें तो हर बार अपमान सह लेना महानता नहीं है. जब सामने वाला इंसान अपमानित करने से बाज नहीं आ रहा है तो आपको तर्क के साथ स्पष्ट और प्रभावशाली जवाब जरूर देना चाहिए. आचार्य चाणक्य का मानना था कि एक बार अपमान सह लेना समझदारी है, दो बार सह लेना भी एक प्रकार की महानता है, लेकिन अगर आप बार बार चुप रहेंगे तो दुनिया आपको मूर्ख समझने लगती है.

सफलता-अपमान का सबसे प्रभावी जवाब

चाणक्य नीति में कहा गया है कि अपमान का सबसे तगड़ा जवाब सफलता अर्जित करना है. इसलिए अपमान को अपनी प्रेरणा बनाना चाहिए. खुद को इतना सक्षम बना लें कि जो आज आपकी आलोचना करते हैं, कल आपकी प्रशंसा करने के लिए मजबूर हो जाएं. यह बदले की भावना नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान की रक्षा का रास्ता है.

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शांति और सौम्यता से भी दिया जा सकता है करारा जवाब

हर अपमान का जवाब गुस्से में देना जरूरी नहीं होता. चाणक्य कहते हैं कि अगर आप विनम्रता और संयम के साथ प्रतिक्रिया देंगे, तो सामने वाले को खुद-ब-खुद अपनी गलती का एहसास होगा. आपकी शांति ही आपकी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है.

जो अपमान करता है, वह भीतर से टूटा होता है

कई बार जो लोग दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, वे खुद भीतर से दुखी या असफल हुए होते हैं. ऐसे लोगों की बातों को दिल से न लगाएं. उनसे दूरी बनाना ही बेहतर है, ताकि उनकी नकारात्मकता आपकी ऊर्जा को प्रभावित न कर सके.

अपमान नहीं, चुनौती समझिए

अपमान को अपनी कमजोरी न बनाएं, उसे चुनौती मानकर चलें. यह सोचिए कि यह पल आपको मजबूत बनाने के लिए आया है. खुद को साबित करने का इससे बेहतर मौका शायद ही कोई और हो.

ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें

  • अपनी ऊर्जा को सही दिशा दें. अपमान का जवाब बहस के बजाय अपनी उपलब्धि से देना बेहतर होता है.
  • धैर्य रखें, समय सबको जवाब देता है. क्योंकि हर इंसान को उसके कर्मों का फल जरूर मिलता है.
  • सम्मान सबसे बड़ा धन है. उसे किसी भी कीमत पर न खोयें.
  • खुद को जानिए, तभी दुनिया आपको पहचानेगी. आत्म-सम्मान की नींव पर ही दूसरों का सम्मान टिका होता है.
  • विवेक और संयम ही आपकी ढाल है

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