मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में अब सभी जानना चाहते हैं. यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अब परेशान करने लगा है. इस बीच स्वास्थ्य पेशेवरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मंकीपॉक्स यौन अभिवृति या नस्ल की परवाह किये बिना करीबी शारीरिक संपर्क से फैल सकता है और इसके प्रसार के लिए पूरे एलजीबीटीक्यू समुदाय को बलि का बकरा बनाना एड्स महामारी के दौरान की गयी गलती की पुनरावृत्ति होगी.
शादी में जाने और फिर कोविड का शिकार होने जैसा ही एक प्रकरण है
पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में बीमारी का पता चलने की खबरों के बीच मंकीपॉक्स के प्रकोप ने एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर) समुदाय में भय पैदा कर दिया है. समान अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता हरीश अय्यर ने कहा कि मंकीपॉक्स सिर्फ एलजीबीटीक्यू समुदाय में नहीं फैलता है. अय्यर ने पीटीआई से कहा कि यह (एलजीबीटीक्यू) समुदाय में तब हुआ, जब ‘प्राइड’ महीना चल रहा था और समुदाय में और भी कार्यक्रम हो रहे थे. यह हर किसी के शादी में जाने और फिर कोविड का शिकार होने जैसा ही एक प्रकरण है. इसलिए, आपको उन्हें अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित के रूप में देखने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि मंकीपॉक्स का प्रकोप पहले से ही समुदाय और उन लोगों के लिए झिझक का सबब बन रहा है, जिन्हें बुखार हो गया, ऐसे में वे जांच के लिए जाने से भी डरते हैं.
एड्स को भी समलैंगिक-संबंधी विकार कहा जाता था
अय्यर ने कहा कि एड्स को भी समलैंगिक-संबंधी विकार कहा जाता था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि यह केवल समलैंगिकों में फैलता है. लेकिन अन्य लोगों के भी कई साथी हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने समलैंगिकों और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने का हवाला देते हुए हाल में एक स्वास्थ्य परामर्श जारी किया था. डब्ल्यूएचओ ने पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों से अपने साथियों की संख्या सीमित रखने का आग्रह किया था.
करीबी शारीरिक संपर्क से फैल सकता है मंकीपॉक्स
स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनमोल सिंह ने कहा कि एक जोखिम यह भी है कि लोग अब समुदाय से दूरी बनाना शुरू कर देंगे, जो उनमें अकेलेपन को बढ़ावा देगा. स्वास्थ्य पेशेवरों ने यह भी स्पष्ट किया कि मंकीपॉक्स, यौन अभिविन्यास या नस्ल की परवाह किये बिना करीबी शारीरिक संपर्क से फैल सकता है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में त्वचा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ सोमेश गुप्ता ने कहा कि कोविड महामारी ने मुख्यधारा के मीडिया को स्वास्थ्य क्षेत्र में नवीनतम विकास पर रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया है. उन्होंने कहा, लेकिन, एक चिकित्सा पेशेवर की समझ के अभाव में यह सनसनी फैलाने का हथियार बन जाता है. गुप्ता ने कहा कि ऐसा एक बार फिर हो रहा है, इस समय मंकीपॉक्स के मामले में, एक ऐसी बीमारी जो केवल यौन संबंधों से ही नहीं बल्कि साफ तौर पर त्वचा से त्वचा और त्वचा से कपड़े के करीबी संपर्क से भी फैलती है.
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