Garuda Purana : गरुड़ पुराण में बताया है मरने के बाद है घर में रहती है 13 दिन आत्मा

Garuda Purana : यह 13 दिन की अवधि आत्मा के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, जिसमें परिवार के सदस्य विशेष धार्मिक कर्म करते हैं ताकि मृतक आत्मा को शांति मिले और वह अच्छे स्थान पर जाए.

By Ashi Goyal | March 24, 2025 9:47 PM
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Garuda Purana : गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो मृत्यु, आत्मा, पुनर्जन्म और धार्मिक कर्मों के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है. इस पुराण में मरने के बाद आत्मा की यात्रा और उसके साथ होने वाली घटनाओं का वर्णन किया गया है. विशेष रूप से, यह बताया गया है कि व्यक्ति की आत्मा 13 दिन तक अपने घर में रहती है और इस दौरान परिवार के सदस्य उसे शांति प्रदान करने के लिए विभिन्न धार्मिक कर्म करते हैं. गरुड़ पुराण जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने में मदद करता है और आत्मा के मार्गदर्शन के लिए आवश्यक दिशानिर्देश देता है, गरुड़ पुराण में यह बताया गया है कि व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा 13 दिन तक घर में रहती है. इन 13 दिनों में कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं, जो आत्मा के मार्ग और उसके परिवार के लिए महत्वपूर्ण होती हैं:-

  • आत्मा का शरीर से निकलना: जब व्यक्ति का शरीर छोड़ता है, तो आत्मा शरीर से निकलकर उसकी स्थिति को देखती है और घर में रहती है.
  • पितरों के दर्शन: मरने के बाद आत्मा को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उसे अगले जन्म की दिशा तय करने में मदद करते हैं.
  • साक्षात्कार के क्षण: आत्मा को 13 दिन तक परिवार के सदस्यों से साक्षात्कार हो सकता है, लेकिन यह साक्षात्कार केवल स्वप्न या आभास रूप में होता है.
  • घर के वातावरण का असर: मरने के बाद घर का वातावरण बदल जाता है, और आत्मा इस परिवर्तित वातावरण को महसूस करती है.
  • श्राद्ध कर्म: 13 दिन के भीतर परिवार के सदस्य श्राद्ध कर्म करते हैं ताकि आत्मा को शांति मिले और वह अच्छे स्थान पर जाए.
  • सत्कर्मों का फल: आत्मा के लिए 13 दिन तक अच्छे कर्मों का महत्व होता है, ताकि वह अगले जन्म में श्रेष्ठ जीवन पा सके.
  • आत्मा का भ्रमण: आत्मा 13 दिन तक पृथ्वी पर भ्रमण करती है, खासकर अपने प्रियजनों के पास.
  • पुनर्जन्म की प्रक्रिया: 13 दिन के दौरान आत्मा का पुनर्जन्म की प्रक्रिया शुरू होती है, यदि उसके कर्म अच्छे रहे हैं.
  • श्राद्ध का आयोजन: घर में 13 दिन तक पिंडदान और तर्पण जैसे कर्म किए जाते हैं ताकि आत्मा को शांति मिल सके और वह अपने कर्मों के अनुसार अगले जन्म की यात्रा शुरू कर सके.
  • धार्मिक अनुष्ठान: 13 दिन तक परिवार के सदस्य पूजा और अनुष्ठान करते हैं ताकि आत्मा को शांति मिले और वह उच्च स्थान प्राप्त कर सके.
  • पानी और भोजन का त्याग: इस दौरान परिवार के सदस्य विशेष आहार से बचते हैं और शुद्धता बनाए रखने के लिए साधना करते हैं.
  • आत्मा का मार्गदर्शन: गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि 13 दिन के भीतर आत्मा को यमराज से मार्गदर्शन प्राप्त होता है, जो उसे अगले जन्म के लिए तैयार करता है.
  • समाप्ति के बाद शांति: 13 दिन के बाद, आत्मा का शरीर से पूर्ण रूप से नाता टूट जाता है और उसे शांति प्राप्त होती है, जो उसे अगले जन्म में प्रवेश करने की अनुमति देती है.

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यह 13 दिन की अवधि आत्मा के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, जिसमें परिवार के सदस्य विशेष धार्मिक कर्म करते हैं ताकि मृतक आत्मा को शांति मिले और वह अच्छे स्थान पर जाए.

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