– सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी
भगवान विष्णु ब्रह्मांड के पालनहार हैं और वे सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं. उनका अस्तित्व सभी प्राणियों में समाहित है.
– निराकार रूप में पूजा
भगवान विष्णु का कोई विशेष रूप नहीं है, वे निराकार रूप में सभी स्थानों में उपस्थित होते हैं. उनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूपों में की जा सकती है.
– धर्म का पालन
भगवान विष्णु ने गीता में कहा है कि धर्म का पालन करना और सत्य के मार्ग पर चलना जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.
– कर्म का फल
भगवान विष्णु ने कर्म के महत्व को बताया है, यह कहा कि हमें अपने कर्तव्यों को बिना किसी अपेक्षा के करना चाहिए. कर्म का फल हमें भूतकाल, वर्तमान और भविष्य के कर्मों पर निर्भर करता है.
– भगवान का भक्ति रूप
भगवान विष्णु भक्ति में विश्वास रखते हैं. उनका कहना है कि कोई भी व्यक्ति शुद्ध भक्ति और समर्पण से उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है.
– माया के प्रभाव से बचाव
भगवान विष्णु ने माया के प्रभाव को समझाया है, यह भौतिक संसार के झूठे आकर्षणों से व्यक्ति को मोहित कर देता है, जिससे बचकर आत्मा को मुक्ति मिलती है.
– समर्पण का महत्व
भगवान विष्णु का मानना है कि भगवान के प्रति समर्पण से आत्मा को शांति और संतोष मिलता है. समर्पण ही आत्मा की वास्तविक उन्नति है.
– सच्ची भक्ति
भगवान विष्णु का कहना है कि सच्ची भक्ति न केवल आंतरिक रूप से, बल्कि बाहरी रूप से भी होनी चाहिए. यह अपने कार्यों और आचरण से प्रकट होनी चाहिए.
– जीवन का उद्देश्य
भगवान विष्णु के अनुसार जीवन का उद्देश्य आत्मा का उन्नति और परमात्मा से मिलन है. यही हमें दुनिया में आने का असली कारण है.
– संतुलित जीवन जीना
भगवान विष्णु ने संतुलित जीवन जीने का महत्व बताया है. इसमें मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखना जरूरी है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आए.
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