Gita Updesh: “कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर”
गीता का सबसे प्रसिद्ध उपदेश यही है. यह हमें सिखाता है कि हमें अपने कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करने चाहिए, लेकिन उनके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए. जब हम फल की चिंता छोड़ देते हैं, तब मन शांत रहता है और कर्म में सच्चा समर्पण आता है.
Gita Updesh: जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा
यह श्लोक हमें स्वीकार्यता सिखाता है. जीवन में जो कुछ भी होता है, वह हमारे अच्छे के लिए होता है. यह सोच हमें दुख से बाहर निकलने की शक्ति देती है. इससे आत्मविश्वास और मानसिक शांति मिलती है.
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Gita Updesh: मन ही मनुष्य का मित्र है और मन ही शत्रु
अगर आप खुद को संभालना चाहते हैं, तो अपने मन को समझना जरूरी है. गीता कहती है कि हमारा मन ही सबसे बड़ा सहारा है, लेकिन अगर उस पर नियंत्रण न हो तो वही हमारा सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है.
Gita Updesh: अहंकार, लालच और मोह, विनाश की जड़ हैं
जीवन में दुख और तनाव का बड़ा कारण यही हैं. जब हम इन भावनाओं से घिरे होते हैं, तो सही निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है. गीता हमें इनसे दूर रहकर शांत और संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है.
Gita Updesh: शांति भीतर से आती है, बाहर की चीजें सिर्फ भ्रम हैं
अगर आप शांति ढूंढ रहे हैं तो बाहर नहीं, अपने भीतर झांकिए. गीता बताती है कि आत्मज्ञान और ध्यान से ही सच्ची शांति मिलती है. बाहरी वस्तुएं सिर्फ मन को उलझाती हैं.
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