Gita Updesh: कैसे बचें जीवन के भ्रम से? श्रीकृष्ण की अमूल्य सीख
Gita Updesh: गीता उपदेश सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मार्गदर्शक की भूमिका में काम करती है. जो मनुष्य जीवन गीता में लिखी बातों को अपने जीवन में अनुसरण करता है, वह हर मुश्किल परिस्थितियों में अपने आपको निकाल लेता है.
By Shashank Baranwal | March 31, 2025 7:25 AM
Gita Updesh: श्रीमद्भागवत गीता में जीवन का सार बताया गया है. इसमें बताई गई बातें मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है. यह कठिन परिस्थितियों में मनुष्य को जीवन की सही दिशा का ज्ञान कराता है. जब कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन का मन युद्ध करने से कतराने लगा, तो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेशों को सुनाया था. साथ ही श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप का साक्षात दर्शन भी कराया था. गीता उपदेश सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मार्गदर्शक की भूमिका में काम करती है. जो मनुष्य जीवन गीता में लिखी बातों को अपने जीवन में अनुसरण करता है, वह हर मुश्किल परिस्थितियों में अपने आपको निकाल लेता है. गीता में लिखी बातें मनुष्य को ढांढस बंधाने का काम करती हैं. ऐसे में गीता में लिखी इन बातों को अपने जीवन में जरूर अमल में लाएं.
भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए मनुष्य को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए. कार्य करते समय मन को शांत और स्थिर बनाए रखना आवश्यक है. क्रोध बुद्धि को नष्ट कर देता है, जिससे सफल होते कार्य भी बाधित हो सकते हैं. इसलिए मन की शांति बनाए रखना ही श्रेष्ठ मार्ग है.
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है कि अज्ञानता के कारण व्यक्ति हर विषय को गलत नजरिए से देखता है. ज्ञान न होने के कारण वह सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता और हर बात का विपरीत अर्थ निकाल लेता है. ऐसे में व्यक्ति को ज्ञान में वृद्धि करना बहुत जरूरी होता है.
श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि किसी भी वस्तु या व्यक्ति के प्रति अत्यधिक मोह मनुष्य के दुख और विफलता का कारण बनता है. यह मोह क्रोध और पीड़ा को जन्म देता है, जिससे वह अपने कर्तव्यों पर ध्यान नहीं दे पाता. इसलिए, मनुष्य को अति लगाव से बचना चाहिए.