Gita Updesh: ये तीन दोष कर देते है आत्मा का नाश सीधा ले जाते है नरक के द्वार

Gita Updesh:गीता उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण ने इन तीन दोषों को आत्मा का नाश करने वाला बताया है, जानें क्यों जरूरी है इनसे बचना.

By Pratishtha Pawar | May 18, 2025 10:21 AM
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Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की एक संपूर्ण कला भी सिखाती है. इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं. गीता में बताया गया है कि तीन ऐसी बुराइयाँ हैं जो मनुष्य को पतन की ओर ले जाती हैं और अंततः नरक का द्वार खोलती हैं. ये तीन दोष हैं-काम, क्रोध और लोभ.

Gita Shlok Kaam Krodh Lobh in Gita: गीता श्लोक (अध्याय 16, श्लोक 21)

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः.
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्..

अर्थ: काम, क्रोध और लोभ- ये तीन नरक के द्वार हैं जो आत्मा का नाश करते हैं. अतः इन तीनों को त्याग देना चाहिए.

Kaam Krodh Lobh Lead to Hell: काम, क्रोध और लोभ हैं नरक के द्वार

1. काम (वासना और अत्यधिक इच्छाएं)

गीता में कहा गया है कि जब व्यक्ति पर काम यानी वासना या अत्यधिक इच्छाएं हावी हो जाती हैं, तो वह विवेक खो बैठता है. इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता, और जब वे पूरी नहीं होतीं, तो मन में अशांति पैदा होती है. यह अशांति आगे जाकर मोह, निराशा और गलत निर्णयों का कारण बनती है. काम मनुष्य को आत्मकेंद्रित बना देता है, जिससे वह दूसरों का अहित करने लगता है.

2. क्रोध (गुस्सा और द्वेष)

क्रोध वह अग्नि है जो सबसे पहले उसी व्यक्ति को जलाती है, जिसके भीतर यह उत्पन्न होती है. गीता में कहा गया है कि क्रोध बुद्धि का नाश कर देता है, और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है, तो व्यक्ति सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता. क्रोध से हिंसा, द्वेष और अपशब्दों की उत्पत्ति होती है, जो सामाजिक और आत्मिक पतन का कारण बनती है.

3. लोभ (लालच)

लोभ कभी संतोष नहीं होने देता. जो व्यक्ति लालची होता है, वह हमेशा दूसरों से अधिक पाने की चाह में उलझा रहता है. वह नैतिकता और धर्म की सीमाओं को लांघ कर भी धन या भौतिक सुख-सुविधाएं हासिल करने की कोशिश करता है. यही लोभ धीरे-धीरे उसे पाप की ओर ले जाता है और अंत में वह स्वयं अपने जीवन को नरक में ढकेल देता है.


श्रीमद्भगवद्गीता हमें आत्ममंथन और आत्मनियंत्रण का मार्ग दिखाती है. काम, क्रोध और लोभ-इन तीनों को त्याग कर ही व्यक्ति सच्चे अर्थों में धर्म के मार्ग पर चल सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. इन दोषों से मुक्त होकर ही आत्मा का कल्याण संभव है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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