Gita Updesh on Friendship: इन 4 प्रकार के लोगों से कभी न करें मित्रता इनके संबंध से केवल दुख ही प्राप्त होता है

Gita Updesh on Friendship: गीता उपदेश के अनुसार बुद्धिमान व्यक्ति को सोच-समझकर मित्र चुनने चाहिए, क्योंकि गलत संगति जीवन में अशांति और विनाश लाती है.

By Pratishtha Pawar | May 14, 2025 11:49 AM
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Gita Updesh on Friendship: श्रीमद्भगवद गीता में दिए गए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों साल पहले थे. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को न केवल धर्म और कर्म का ज्ञान दिया, बल्कि यह भी बताया कि जीवन में किन लोगों से संबंध बनाना चाहिए और किनसे नहीं. एक विशेष श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति को अभिमानी, मूर्ख, क्रोधी और अधर्मी व्यक्ति से मित्रता नहीं करनी चाहिए.

“बुद्धिमान पुरुषों को चाहिए कि वह अभिमानी, मूर्ख, क्रोधी और धर्महीन मनुष्य से मित्रता न करें. इनके संबंध से केवल दुख ही प्राप्त होता है.”

– गीता उपदेश

Gita Updesh on Friendship | Gita Quotes on Friendship: किन लोगों से नहीं करनी चाहिए मित्रता और क्यों?

1. अभिमानी व्यक्ति से दूर रहें

अभिमानी व्यक्ति स्वयं को ही श्रेष्ठ मानता है और दूसरों को तुच्छ समझता है. वह कभी किसी की बात नहीं सुनता और अपने अहंकार में अंधा हो जाता है. ऐसे व्यक्ति के साथ मित्रता करने पर आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और जीवन में तनाव बढ़ता है.

2. Avoid bad company Gita | मूर्ख व्यक्ति से न बनाएं संबंध

मूर्ख व्यक्ति सोच-समझकर निर्णय नहीं लेता. वह बिना तर्क और विवेक के कार्य करता है जिससे न केवल स्वयं को बल्कि अपने साथ वालों को भी मुश्किल में डाल सकता है. उसकी संगति में रहकर आप भी अपने मार्ग से भटक सकते हैं और जीवन में गलत निर्णय ले सकते हैं.

3. क्रोधी व्यक्ति से न रखें मेलजोल

क्रोधी व्यक्ति का मन हमेशा अशांत रहता है. वह बात-बात पर गुस्सा करता है और रिश्तों में कड़वाहट घोल देता है. ऐसे व्यक्ति के साथ समय बिताने से मन की शांति भंग होती है और तनाव व कलह का वातावरण बनता है.

4. धर्महीन व्यक्ति से न करें मित्रता

जो व्यक्ति धर्म, नैतिकता और मूल्यों का पालन नहीं करता, वह किसी का भी नहीं होता. ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होता है और गलत रास्ते अपनाता है. उसकी संगति से आप भी अधर्म के मार्ग पर चल सकते हैं, जो अंततः दुखद परिणाम लाता है.

भगवद गीता का यह उपदेश आज के समय में भी उतना ही मूल्यवान है. मित्रता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है लेकिन सही मित्र का चुनाव उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है. यदि आप शांति, सफलता और सुख की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना ही उचित होगा जो आपके जीवन में विष घोल सकते हैं.

श्रीमद्भगवद गीता हमें यही सिखाती है कि सजग रहकर ही सही जीवन पथ पर बढ़ा जा सकता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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