Gita Updesh: सुखी गृहस्थ जीवन चाहते है तो गांठ बांध ले ये चार सूत्र

Gita Updesh: गृहस्थ जीवन को सफल और शांतिपूर्ण बनाने के लिए गीता का यह उपदेश आज भी प्रासंगिक है. पढ़ें श्रीकृष्ण के चार धर्मों की सीख.

By Pratishtha Pawar | July 1, 2025 6:50 AM
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Gita Updesh: भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में जो भी उपदेश दिए, वे आज भी हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. गीता में श्रीकृष्ण ने गृहस्थ जीवन के लिए भी कई महत्वपूर्ण सूत्र बताए हैं. उन्होंने कहा कि जिस गृहस्थ जीवन में सत्य, धर्म, धृति और त्याग जैसे चार धर्मों का पालन होता है, वहां न केवल इस लोक में सुख-शांति बनी रहती है, बल्कि परलोक की चिंता भी नहीं करनी पड़ती कि मोक्ष की प्राप्ति होगी अथवा नहीं.

Gita Updesh: सुखी दाम्पत्य जीवन पर श्रीकृष्ण का उपदेश

जिस गृहस्थ में सत्य, धर्म, धृति और त्याग नामक चार धर्म होते हैं, उसे मरने के बाद इस लोक से परलोक प्राप्त होने पर अपने कल्याण के लिए सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

-भगवद्गीता

Gita Updesh on Grihasth Life: 4 गुणों को अपना लिया तो सुख से बीतेगा जीवन

Gita Updesh on Truth: जीवन की आधारशिला है सत्य

सत्य को श्रीकृष्ण ने हर व्यक्ति और विशेष रूप से गृहस्थ जीवन की सबसे पहली और महत्वपूर्ण नींव बताया है. सत्य का पालन करने वाला गृहस्थ किसी भी स्थिति में झूठ, छल-कपट और धोखे से दूर रहता है. जब परिवार में पारदर्शिता और ईमानदारी रहती है, तो रिश्तों में विश्वास मजबूत होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

Gita Updesh on Duties: कर्तव्यों का पालन करना है परम कर्तव्य

यह केवल पूजा-पाठ या कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने हर कर्तव्य को निष्ठा और न्याय के साथ निभाना ही सच्चा धर्म है. गृहस्थ जीवन में माता-पिता, जीवनसाथी, संतान और समाज के प्रति जिम्मेदारियों को पूरी श्रद्धा से निभाना ही धर्म है. धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति कभी अधर्म के मार्ग पर नहीं चलता.

Gita Updesh on Patience: कठिनाइयों में धैर्य और संयम का पर्याय है धृति

धृति यानी धैर्य और आत्मसंयम. गृहस्थ जीवन में अनेक प्रकार की चुनौतियां आती हैं – कभी आर्थिक समस्या, कभी पारिवारिक विवाद, तो कभी सामाजिक उलझनें.  इन सबका समाधान धृति से ही संभव है.  श्रीकृष्ण का कहना है कि जो व्यक्ति कठिन समय में धैर्य नहीं खोता, वही असली विजेता होता है.

Gita Updesh on Sacrifices: स्वार्थ से ऊपर उठना ही है त्याग की भावना

त्याग का अर्थ है अपने सुख और स्वार्थ को छोड़कर दूसरों की भलाई सोचना.  गृहस्थ जीवन में त्याग का बहुत बड़ा महत्व है. जब परिवार का हर सदस्य निस्वार्थ होकर एक-दूसरे के लिए त्याग करता है, तभी घर स्वर्ग बनता है. श्रीकृष्ण ने बताया कि त्याग के बिना न तो सच्चा प्रेम संभव है और न ही शांति.

यदि हम अपने जीवन में सत्य, धर्म, धृति और त्याग जैसे गुणों को अपनाएं, तो न केवल हमारा गृहस्थ जीवन सुखी रहेगा, बल्कि हम परलोक के कल्याण के लिए भी निश्चिंत रहेंगे. गीता के ये चार धर्म वास्तव में एक खुशहाल जीवन का मूल मंत्र हैं.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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