Goa Liberation Day 2022: गोवा मुक्ति दिवस आज, फिर भी 30 मई बना स्थापना दिवस, जानें क्यों

Goa Liberation Day 2022: 19 दिसंबर, 1961 की तारीख हिंदुस्तान की आजादी के समय तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहे गोवा की आजादी का दास्तां को बयां करती है. जबकि, दूसरी तारीख 30 मई, 1987 गोवा के भारतीय संघ का एक पूर्ण राज्य बनने की गवाह है. तो आइए जानते हैं आधुनिक गोवा बनने का रोचक सफर

By Shaurya Punj | December 19, 2022 6:30 AM
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Goa Liberation Day 2022: गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) भारत में हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है और यह उस दिन को चिह्नित करता है जब भारतीय सशस्त्र बलों ने 1961 में पुर्तगाली (Portuguese) शासन के 450 वर्षों के बाद गोवा को मुक्त कराया था. वर्ष 2021 गोवा की आजादी के 60 साल पूरे होने का प्रतीक है. गोवा मुक्ति दिवस को गोवा में बहुत सारे कार्यक्रमों और उत्सवों के रूप में चिह्नित किया जाता है, हालांकि इस बार महामारी के कारण समारोहों के मौन रहने की उम्मीद है. राज्य में तीन अलग-अलग स्थानों से मशाल की रोशनी में जुलूस निकाला जाता है, अंत में सभी आजाद मैदान (Azad Maidan) में मिलते हैं.

19 दिसंबर, 1961 की तारीख हिंदुस्तान की आजादी के समय तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहे गोवा की आजादी का दास्तां को बयां करती है. जबकि, दूसरी तारीख 30 मई, 1987 गोवा के भारतीय संघ का एक पूर्ण राज्य बनने की गवाह है. यही तारीख गोवा का स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन यह विचारणीय प्रश्न है कि गोवा की मुक्ति से लेकर उसके भारत के पूर्ण राज्य बनने के सफर में 14 साल का लंबा वक्त क्यों लगा और इस दौरान गोवा किससे अधीन था? तो आइए जानते हैं आधुनिक गोवा बनने का रोचक सफर

गोवा की मुक्ति और स्थापना दिवस

15 अगस्त, 1948 को भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में रहा. किंतु, पुर्तगाली शासक गोवा वासियों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे थे. भारत सरकार के कई बार आग्रह के बावजूद जब पुर्तगाली नहीं माने तो फिर ऑपरेशन विजय की शुरुआत की गई. अंतत: 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्त करा लिया गया और इसे दमण तथा दीव के साथ मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. हालांकि, बाद में 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और दमण तथा दीव को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. तब से ही 30 मई का दिन गोवा का मुक्ति दिवस यानी स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है. स्थापना के बाद पणजी को गोवा की राजधानी तथा कोंकणी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया.

गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास

  • 1510 में पुर्तगालियों ने भारत के कई हिस्सों का उपनिवेश किया लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेदिवा द्वीप तक सीमित थे.

  • गोवा मुक्ति आंदोलन, जिसने गोवा में पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की, छोटे पैमाने के विद्रोहों के साथ शुरू हुआ.

  • 15 अगस्त 1947 को, जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की, गोवा अभी भी पुर्तगाली शासन के अधीन था.

  • पुर्तगालियों ने गोवा और अन्य भारतीय क्षेत्रों पर अपना अधिकार छोड़ने से इनकार कर दिया. पुर्तगालियों के साथ असंख्य असफल वार्ताओं और राजनयिक प्रयासों के बाद, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने फैसला किया कि सैन्य हस्तक्षेप ही एकमात्र विकल्प था.

  • 18 दिसंबर, 1961 से आयोजित 36 घंटे के सैन्य अभियान का कोड-नाम ‘ऑपरेशन विजय (Operation Vijay)’ था, जिसका अर्थ है ‘ऑपरेशन विक्ट्री’, और इसमें भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के हमले शामिल थे.

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