Hobby becomes income source : पूजा-पाठ हो, शादी-ब्याह या पर्व-त्योहार, तमाम धार्मिक अनुष्ठान फूल के बिना अधूरे हैं. मगर रंग-बिरंगे फूलों की उपयोगिता खत्म होते ही इन्हें कचरे में फेंक दिया जाता है. हमारे आस-पास कई ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जो अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं इन बेकार के फूलों से अपनी किस्मत भी संवार रहे हैं. नैनीताल में ही पली-बढ़ी डॉ किरण तिवारी पीएचडी करने के बाद अपने शौक के लिए समय देना चाहती थीं. उन्हें शुरू से ही प्रकृति के बीच रहना, फूलों से माला या अन्य कलात्मक चीजें बनाना खूब भाता था. उन्होंने गौर किया कि कई शहरों में वेस्ट माने जाने वाले फूलों को रीसायकिल करने के लिए विशेष प्लांट लगे हैं, वहीं ज्यादातर शहरों में इसे नदी या नाले में ही बहा दिया जाता है. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न इन बेकार के फूलों को उपयोग में लाया जाये! इस पर काफी रिसर्च वर्क करने के बाद उन्होंने नैनीताल, उत्तराखंड में ‘चेली आर्ट्स’ नाम से महिला कारीगरों की एक संस्था पंजीकृत करवायी. इस बायोडिग्रेडेबल वेस्ट का इस्तेमाल करके स्थानीय महिलाओं ने अपने रोजगार का जरिया खोज लिया है और आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं.
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