दरअसल, अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, एक वरिष्ठ खगोल भौतिक मामलों के जानकार व एमपी बिड़ला तारामंडल के निदेशक देबिप्रसाद दुआरी ने बताया है कि दोनों (अकाशीय और समुद्री) घटनाओं का आपस में कोई संबंध नहीं है.
बुधवार, 26 मई को लगने वाला चंद्रग्रहण एक आंशिक (उपछाया) चंद्र ग्रहण होगा. यह किसी भी तरह से समुद्री लहरों को बढ़ा या घटा नहीं सकता. यदि आसमान में इस दिन बादल छाए रहे तो कोई इस ब्रह्मांडीय घटना अर्थात आंशिक चंद्र ग्रहण को देख भी नहीं पाएगा.
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उन्होंने इस बात पर फिर से जोड़ डालते हुए कहा कि किसी भी समुद्र व नदियों में उठ रही हाई टाइड की घटना को किसी भी ग्रह की स्थिति से नहीं जोड़ा जा सकता है. यह सब मौसमी सिस्टम के कारण होता है.
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पीछले साल अम्फान ने मचायी थी तबाही
गौरतलब है कि ताऊ ते तूफान ने पहले ही गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में तबाही मचायी है. अब बंगाल की खाड़ी में बन रहे इस तूफान का क्या असर होता है. यह भी देखने वाली बात होगी. जैसा कि ज्ञात हो पिछले वर्ष अम्फान तूफान ने इसी समय बंगाल और आसपास के पूर्वोत्तर इलाकों में काफी तबाही मचायी थी.
Posted By: Sumit Kumar Verma