ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब
Jaipal Singh Munda Quotes, Suvichaar, Anmol Vichaar: 3 जनवरी झारखंड अलग राज्य के स्वप्नदृष्टा जयपाल सिंह मुंडा की जयंती है. जयपाल सिंह मुंडा ने झारखंड आंदाेलन में, भारत काे हॉकी में ओलिंपिक चैंपियन बनाने और भारतीय संविधान के निर्माण के वक्त पूरे देश के आदिवासियाें की आवाज बन कर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. अदभुत नेतृत्व गुण , प्रखर वक्ता , सरल स्वभाव, लेखनी के धनी जयपाल सिंह मुंडा का जन्म 3 जनवरी 1903 में रांची झारखंड के खूंटी नामक एक छोटे से कस्बे में हुआ था. जयपाल सिंह मुंडा पहले आदिवासी थे जो भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए थे. लेकिन हॉकी के मोह के कारण उन्होंने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया था. बता दें कि ब्रिटेन में वर्ष 1925 में ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले जयपाल सिंह मुंडा हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे. यहां जानें जयपाल सिंह मुंडा के अनमोल विचार
Jaipal Singh Munda Quotes: धार्मिक कट्टरवादियों ने सार्वजनिक
धार्मिक कट्टरवादियों ने सार्वजनिक मंचों पर कब्जा कर लिया है
और वे उन संस्कृतियों पर हमला कर रहे है, जो उनसे अपनी अलग पहचान रखते है
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा
Jaipal Singh Munda Quotes: आप लोग आदिवासियों को लोकतंत्र
आप लोग आदिवासियों को लोकतंत्र नहीं सिखा सकते
बल्कि आदिवासियों से ही समानता और सह अस्तित्व सीखना होगा
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा
Jaipal Singh Munda Quotes: हम आदिवासियों में जाति
हम आदिवासियों में जाति, रंग, अमीरी-गरीबी या धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया जाता. आपको हमसे लोकतंत्र सीखना चाहिए. हमको किसी से सीखने की जरूरत नहीं.”
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा
Jaipal Singh Munda Anniversary 2023: हॉकी की टर्फ पर भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले
हॉकी की टर्फ पर भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले कप्तान, संविधान सभा के सदस्य तथा झारखण्ड आंदोलन के अग्रणी नेता जयपाल सिंह मुंडा जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि.
Jaipal Singh Munda Quotes: आदिवासी सबसे गणतांत्रिक समुदाय
आदिवासी दुनिया का सबसे गणतांत्रिक समुदाय है
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा
जयपाल सिंह मुंडा का योगदान और कार्यक्षेत्र
जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासियों के लिए बढ़-चढ़कर योगदान दिया झारखंड आंदोलन के नेता ने भारत आने के बाद ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करने के बजाय बल्कि आदिवासियों के हक की लड़ाई के लिए उन्होंने 1938 में आदिवासी महासभा का गठन किया. उन्होंने बिहार से हटकर एक अलग झारखंड राज्य की मांग की.
आदिवासियों के अधिकारों की आवाज
उन्होंने मध्य पूर्वी भारत में आदिवासियों को शोषण से बचाने के लिए आदिवासी राज्य बनाने की मांग की उनके प्रस्तावित राज्य में वर्तमान झारखंड, उड़ीसा का उत्तरी भाग, छत्तीसगढ़ और बंगाल के कुछ हिस्से भी शामिल थे. इसके बाद जयपाल सिंह ने देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए. 1938 के आखिरी महीने में जयपाल ने पटना और रांची का दौरा किया इस दौरे के दौरान आदिवासियों के खराब हालातो को देखते हुए जयपाल सिंह मुंडा ने राजनीति में आने का फैसला किया.
संविधान सभा के सदस्य
संविधान सभा के सदस्य के रूप में जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासियों की पहचान और अस्मिता को संविधान निर्माताओं के समक्ष वृहद रूप से रखा. उन्होंने ही सबसे पहले अलग झारखंड राज्य की परिकल्पना की थी. आदिवासियों के हक की बात की. संविधान सभा में जयपाल सिंह मुंडा का भाषण हमेशा याद किया जायेगा.1939 जनवरी में उन्होंने आदिवासी महासभा की अध्यक्षता ग्रहण कर बिहार से अलग एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की थी. इसके बाद जयपाल सिंह देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बने. उन्होंने संविधान सभा में देश की आदिवासियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखी थी. इन्हीं के नेतृत्व में 1928 में ओलिंपिक में भारत ने हॉकी का गोल्ड मेडल जीता था.
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