Jaya Kishori को नहीं आती दुनिया की ये एक बात समझ में

Jaya Kishori जी ने हाल ही में एक वीडियो में कहा कि अपनों से बात करते समय उनके दिल की भावनाओं का ध्यान रखें, क्योंकि वही आपके सच्चे साथी होते हैं.

By Pratishtha Pawar | July 14, 2025 9:48 PM
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Jaya Kishori: प्रसिद्ध भागवत कथावाचिका और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी जी अपने जीवन दर्शन और सच्ची भावनाओं को व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं. हाल ही में उन्होंने एक वीडियो में ऐसा विचार साझा किया जिसने लाखों दिलों को छू लिया. उन्होंने कहा कि हम अक्सर बाहरवालों से बड़ी समझदारी से बात करते हैं, लेकिन अपने करीबी लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जिससे उनकी भावनाएं आहत हो जाती हैं. उनका यह संदेश सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और लोगों को रिश्तों की अहमियत समझा रहा है.

आप बाहरवालों से सोच-समझकर बात करते हैं लेकिन अपनों के सामने कुछ भी कह देते हैं, ये क्या बात हुई? जो आपके अपने हैं, जो आपके लिए हर वक्त खड़े रहते हैं, उनके मन को ध्यान में रखकर बात करें.
 – जया किशोरी

Jaya Kishori से जानें अपनों की भावनाओं को कैसे न पहुंचाएं ठेस?

1. शब्दों का चुनाव सोच-समझकर करें

घर के सदस्य, जीवनसाथी, दोस्त या परिवार के अन्य लोग – ये वही लोग होते हैं जो हर परिस्थिति में आपके साथ होते हैं. उनसे बात करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके शब्द उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचाएं. कभी-कभी गुस्से या थकान में बोले गए शब्द भी गहरे जख्म दे जाते हैं.

2. बात करने से पहले दो बार सोचें

जया किशोरी जी का यही संदेश था कि अपने शब्दों को बोलने से पहले दो बार सोचें. बाहरवालों को खुश रखने से ज्यादा जरूरी है कि अपने लोग न दुखी हों. उन्हें वो इज्जत और समझ दें जिसकी वो हकदार हैं.

3. अपनों की मौजूदगी को हल्के में न लें

बाहर के लोग कुछ समय के लिए आपके जीवन में आते हैं, लेकिन आपके अपने हर खुशी और दुख में आपके साथ होते हैं. उनके साथ बातचीत में सम्मान और संवेदनशीलता का भाव होना चाहिए.

4. माफी मांगने से झिझकें नहीं

अगर कभी अनजाने में कुछ ऐसा कह दिया जिससे किसी अपने को ठेस पहुंची हो, तो तुरंत माफ़ी मांग लेना चाहिए. यह रिश्तों को और मजबूत बनाता है.

5. बात करते समय अपनापन रखें

कठोरता और आरोप लगाने वाली भाषा से बचें. कोशिश करें कि आपकी बातों में प्रेम, सहानुभूति और समझदारी झलके. अपनों से संवाद करते समय यह सोचें कि आप क्या सुनना पसंद करेंगे, वही दूसरों को भी कहें.

जया किशोरी जी का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि रिश्ते शब्दों से बनते और बिगड़ते हैं. अगर आप अपनों को सच्चा सम्मान और प्यार देना चाहते हैं, तो अपने शब्दों पर नियंत्रण रखें. बाहर की दुनिया को दिखाने के लिए कुछ कहने से पहले, अपने अपनों की दुनिया को संजोकर रखें. क्यूंकि वही हैं जो आपके साथ हर हाल में खड़े रहते हैं.

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