भगवान शिव का प्रतीक मानते हैं सांपों को
यहां के लोग सांपों को किसी खतरनाक जीव की तरह नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रतीक के रूप में मानते हैं. शेतफल में कई मंदिर हैं जहां नाग देवता की पूजा होती है. लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि उनके लिए सांप सिर्फ एक जीव नहीं, बल्कि घर का सदस्य है.
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सदियों से चलती आ रही है परंपरा
गांववालों के मुताबिक, उनके पूर्वजों ने सांपों के साथ रहना शुरू किया था और तब से ये परंपरा आज तक चली आ रही है. यहां के बच्चे बचपन से ही सीख जाते हैं कि सांपों को कैसे संभालना है, उनसे कैसे बातचीत करनी है और कैसे उनका सम्मान करना है.
कोई भी सांप काटता नहीं है
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इतने जहरीले सांपों के बीच रहने के बावजूद यहां सांप के काटने की घटना न के बराबर होती है. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गांववालों का मानना है कि अगर आप प्यार और सम्मान दिखाएं, तो सांप भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. यह विश्वास ही इस गांव की सबसे बड़ी ताकत है.
बन गया है पर्यटन स्थल
शेतफल गांव आज के समय में केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक अनोखा पर्यटन स्थल बन चुका है. देश-विदेश से लोग यहां सिर्फ ये देखने आते हैं कि कैसे इंसान और जहरीले जीव एक साथ बिना किसी डर के रह सकते हैं. गांव वाले पर्यटकों को सांपों के बारे में जानकारी देते हैं और कभी-कभी उन्हें पकड़ना भी सिखाते हैं.
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