Menstrual Health Survey 2025: भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल कनेक्टिविटी और सोशल मीडिया उपयोग के दौर में पीरियड्स जैसे संवेदनशील विषयों पर ऑनलाइन दी जा रही गलत और भ्रामक सलाह अब महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है.ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2025 के ताजा आंकड़ों में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि 24.6% महिलाएं सोशल मीडिया पर फैली गलत जानकारियों के कारण मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं.
82.7% महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होता है दर्द
इस सर्वे में भारत के 23 राज्यों से 1,152 महिलाओं ने भाग लिया जिनमें से 72.4% महिलाएं 19 से 35 वर्ष आयु वर्ग की थीं और 76.6% ने स्नातक या उससे अधिक शिक्षा प्राप्त की थी. सर्वे में पाया गया कि 82.7% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान दर्द का अनुभव करती हैं लेकिन इनमें से 41.5% महिलाएं किसी भी प्रकार का दर्द निवारक इस्तेमाल नहीं करतीं है.
सोशल मीडिया से गुमराह हो रहीं महिलाएं
हालांकि 71.6 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सोशल मीडिया मासिक धर्म के बारे में पर्याप्त व सटीक जानकारी प्रदान करता है फिर भी सिर्फ 11.5 प्रतिशत महिलाओं ने मासिक धर्म की आपात स्थिति में सोशल मीडिया पर भरोसा किया है. 82.7 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दर्द से पीड़ित हैं पर केवल 5.5 प्रतिशत ने मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोलऑन का लाभ उठाया जबकि 41.5 प्रतिशत महिलाओं ने किसी दर्द निवारक का उपयोग नहीं किया.
सोशल मीडिया पर कई दावे झूठे
- पीरियड्स में नींबू पानी या कॉफी पीने से दर्द कम होगा लेकिन तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई.
- देरी से पीरियड्स का मतलब है पीसीओडी.
- व्यायाम न करें जबकि हल्का एक्सरसाइज फायदेमंद होता है.
- पीरियड्स का खून चेहरे पर लगाना स्किन के लिए अच्छा होता है.
विकल्प तो हैं पर जागरूकता नहीं
जहां 14.2 प्रतिशत महिलाएं दर्द निवारक गोलियों का सेवन करती हैं वहीं केवल 5.5 प्रतिशत महिलाओं ने मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन का उपयोग किया जो एक सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट वाला विकल्प माना जाता है.
मासिक धर्म हाइजीन में नए विकल्प
सर्वे से पता चला कि जहां 87.8% महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग करती हैं वहीं डिस्पोजेबल पीरियड पैंटी (5.7%) अब टैम्पोन (1.6%) और मेंस्ट्रुअल कप (4.7%) से अधिक प्रचलन में आ रही है.महिलाएं अब ऑनलाइन खरीदारी की ओर भी बढ़ रही हैं. 35.4 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी उत्पाद ऑनलाइन खरीदती हैं जिनमें से 39.9 प्रतिशत क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करती हैं. प्रमुख कारण हैं गोपनीयता, ऑफर्स और खरीदारी में आसानी.
पीरियड्स पर अधिक जानकारी आवश्यक
ऐवरटीन निर्माता और पैन हेल्थकेयर उपक्रम वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ श्री हरिओम त्यागी कहते हैं, ’हमारे ऐवरटीन सर्वे से यह स्पष्ट है कि कई महिलाएं मासिक धर्म के दर्द के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान खोज रही हैं लेकिन जागरूकता की कमी है. 41.5 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान किसी भी दर्द निवारक का उपयोग नहीं करती हैं, जबकि 82.7 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान हल्का से लेकर गंभीर दर्द होता है. विडंबना यह है कि माहवारी के दौरान होने वाली पीड़ा से राहत पाने के लिए 14.2 प्रतिशत महिलाएं पेनकिलर का सेवन कर रही हैं केवल 5.5 प्रतिशत महिलाओं को ही मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन के फायदों की जानकारी है जिससे पेनकिलर पर उनकी निर्भरता कम या खत्म हो गई है.
महिलाओं तक पहुंचे सही जानकारी
पैन हेल्थकेयर के सीईओ श्री चिराग पैन कहते हैं, यह तथ्य कि भारत में दो तिहाई से ज्यादा महिलाएं सूचना के स्रोत के रूप में सोशल मीडिया पर निर्भर हैं यह दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग और ब्लॉगर मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने में शानदार काम कर रहे हैं. यह जरुरी है कि सोशल मीडिया समुदाय सटीक, तथ्य-आधारित और सत्यापित जानकारी के जरिए दर्शकों का भरोसा बनाए.
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