Neem Karoli Baba: जीवन को खोखला कर देती हैं ये आदतें, जानें इंसान के पीछे रहने की असली वजह
Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा एक दिव्य संत थे, जिन्होंने प्रेम, भक्ति और सेवा को जीवन का मूल बताया था. उनका मानना था कि ईश्वर तक पहुंचने के लिए सरलता और सच्ची समर्पण जरूरी है.
By Priya Gupta | June 3, 2025 8:20 AM
Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा, एक ऐसे दिव्य पुरुष थे जिनकी साधना, करुणा और सच्चे प्रेम की गूंज आज भी लोगों के दिलों में सुनाई देती है. उन्होंने अपने जीवन में कभी बड़े उपदेश नहीं दिए, बल्कि अपने व्यवहार और सरल जीवनशैली से लोगों को ईश्वर की राह दिखाई. नीम करोली बाबा मानते थे कि परमात्मा को पाने के लिए जटिल साधनाओं की आवश्यकता नहीं, बल्कि सच्चे मन से भक्ति, प्रेम और समर्पण ही सबसे बड़ा साधन है. आज, जब भी कोई व्यक्ति जीवन में शांति, संतुलन और उद्देश्य की तलाश करता है, तो नीम करोली बाबा की शिक्षाएं उन्हें दिशा देती हैं. ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल में नीम करोली बाबा उन बातों के बारे में बताने जा रहें है, जिन आदतों से मनुष्य जीवन में सबसे पीछे रह जाता है.
नीम करोली बाबा के अनुसार, जिस व्यक्ति का मन उसके वश में नहीं होता, वह जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति प्राप्त नहीं कर सकता. मन को काबू में न रखा जाए तो व्यक्ति हर दिशा में भटकता है और लक्ष्य से भटका जाता है. आत्मसंयम और मन पर नियंत्रण के बिना न तो सही निर्णय लिया जा सकता है, न ही जीवन की दिशा तय हो सकती है.
नीम करोली बाबा के अनुसार, जो व्यक्ति हर समय दूसरों पर निर्भर रहता है, वह कभी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है. ऐसा व्यक्ति न अपने निर्णयों में स्वतंत्र होता है, न ही अपने जीवन की सही दिशा तय कर पाता है. दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहने से धीरे-धीरे आत्मविश्वास को खोखला कर देता है और इंसान अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना भूल जाता है.
नीम करोली बाबा के अनुसार, जो भी व्यक्ति जीवन भी गुस्सा करता है वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता है. गुस्से में लिया गया फैसला मनुष्य को बर्बादी की ओर ले जाता है, जिससे उसका खुद का नुकसान होता है. क्रोधी व्यक्ति कभी यह नहीं सोचता कि उसकी बातों या व्यवहार से किसी दूसरे के मन को आहत पहुंचा सकता है. वे केवल अपने गुस्से में डूबा रहता है, बिना यह समझे कि सामने वाला क्या महसूस कर रहा होगा.
नीम करोली बाबा के अनुसार, डरपोक व्यक्ति सपनों को सिर्फ देखता है लेकिन उसे पूरा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है. इसके अलावा, वह व्यक्ति असफलता के डर से आगे के लिए कोशिश ही नहीं करता, और खुद को ही अपने जीवन की सबसे बड़ा रुकावट बना लेता है.