क्या है मान्यता
रज पर्व (Raja Parba) मॉनसून की शुरुआत में मनाया जाता है. इस समय पर धरती मां रजस्वला की पूजा की जाती है. मान्यता है कि धरती मां इस दौरान मासिक धर्म से गुजरती है. यहां के लोग इसी चीज को सेलिब्रेट करते हैं.
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क्या है रज पर्व?
“रज” शब्द “रजस्वला” से लिया गया है, जिसका अर्थ है मासिक धर्म. मान्यता है कि इन तीन दिनों में धरती माँ (भूमि देवी) भी रजस्वला होती हैं, इसलिए इन दिनों कोई कृषि कार्य नहीं किया जाता. लोग मानते हैं कि जैसे स्त्री को मासिक धर्म के समय विश्राम की जरूरत होती है, वैसे ही धरती को भी.
तीन दिनों की खास परंपराएं
पहला दिन – पहिली रज:
इस दिन लोग स्नान करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और झूले (दोलियां) पर झूलने के साथ साथ पारंपरिक खेलों में हिस्सा लेते हैं. कन्याओं को विशेष रूप से सजाया जाता है और उन्हें त्योहार का केंद्र माना जाता है.
दूसरा दिन – रज संक्रांति:
यह सबसे प्रमुख दिन होता है. इसे “मिथुन संक्रांति” भी कहा जाता है, जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है. इस दिन बड़े स्तर पर उत्सव मनाया जाता है.
तीसरा दिन भूदाहा
इस दिन धरती माँ को स्नान कराकर उन्हें ताजा भोजन अर्पित किया जाता है. महिलाएं घर के आंगन में अल्पना बनाकर रंगोली सजाती हैं.
बनता है पारंपरिक व्यंजन
रज पर्व के दौरान ओडिशा का पारंपरिक व्यंजन जैसे पोडा पिठा, कांदुली दाल, मुठिया आदि बनाए जाते हैं. गांवों और कस्बों में झूले डाले जाते हैं, और महिलाएं पारंपरिक ओडिया गीत गाकर पर्व को उल्लासमय बना देती हैं.
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