कोबरा से भी ज्यादा जहरीली हैं इंसान की ये 3 सोच, वक्त रहते नहीं सुधारे तो जिंदगी में बर्बादी तय है

Osho Quotes: ओशो के अनुसार इंसान की जिंदगी को सबसे ज्यादा नुकसान तीन चीजें पहुंचाती हैं. ओवर कॉन्फिडेंस, लोभ और डर. ये तीन मानसिक स्वभाव ऐसे जहर की तरह हैं जो इंसान को धीरे-धीरे भीतर से खोखला कर देते हैं. चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली या बुद्धिमान क्यों न हो, अगर उसने इन तीनों को नियंत्रित नहीं किया तो उसका जीवन बर्बादी की ओर चला जाता है.

By Sameer Oraon | July 17, 2025 8:39 PM
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Osho Quotes: बच्चे बूढ़े सभी से आपने कभी न कभी कुछ ऐसी बुरी आदतों को छोड़ने की सलाह जरूर सुनी होगी जो इंसान की जिंदगी बर्बाद कर देती है. लेकिन ओशो की मानें तो इंसान की जिंदगी में कभी न कभी कुछ ऐसी परिस्थिति जरूर आती है जिसके वजह से उनके स्वभाव में बदलाव आना लाजमी है. ये तीन स्वभाव हैं ओवर कॉन्फिडेंस, लोभ और डर. ये 3 ऐसे गुण हैं जो इंसान के लिए कोबरा के जगह से भी अधिक खतरनाक है. चाहे वह कितना भी शिक्षित, अमीर या ताकतवर क्यों न हो यह किसी को नहीं छोड़ती है.

इंसान को ले डूबता है ओवर कॉन्फिडेंस

कॉन्फिडेंस इंसान के सफलता में सबसे बड़ा हथियार होता है. लेकिन जब इंसान में ओवर कॉन्फिडेंस आ जाए तो उस व्यक्ति की बर्बादी निश्चित है. ओशो के अनुसार, ओवर कॉन्फिडेंस अहंकार को जन्म देता है. और अहंकार जब किसी को अपने वश में कर लें तो वह मैं” और “मेरा” के दायरे में बंध जाता है. इससे वह सच्चे संबंधों, आत्म-अनुभूति और शांति को खो देता है. अहंकार से जन्म लेती है तुलना, जलन, और प्रतिस्पर्धा जो अंततः मन को भीतर से खोखला कर देती है. नतीजा ये होता है कि रिश्ते बिगड़ते हैं, अकेलापन बढ़ता है और व्यक्ति मानसिक रूप से टूटने लगता है.

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लोभ भी इंसान को बर्बाद कर देता है

ओशो ने कहा है “जिसे सब कुछ चाहिए, वह कभी कुछ भी नहीं पा सकता.” क्योंकि लोभ वह आग है जो जितना भड़काई जाती है, उतना ही अधिक जलाती है. इसलिए इंसान को संतोष का मार्ग अपनाना चाहिए, लेकिन हम ज्यादा पाने की होड़ में हर उस चीज का त्याग कर बैठते हैं. इससे हमारे पास पहले से मौजूद शांति, समय, संबंध और अच्छा स्वास्थ्य को खो बैठते हैं. परिणाम यह होता है कि वह व्यक्ति तनाव, अपराध और थकान की दुनिया में फंस जाता है.

डर इंसान की जिंदगी में धीमा जहर

ओशो की मानें तो “डर मृत्यु नहीं है, लेकिन डर करके जिंदगी जीना एक तरह धीमा जहर है.” क्योंकि डर वह जंजीर है जो इंसान को उड़ने से रोकता है. हर लोगों का डर अलग अलग होता है. कोई समाज से डरता है तो कोई असफलता से या फिर किसी तरह की आलोचना से. यहीं से उनके सपनों का अंत शुरू हो जाता है. इससे वे न तो नया सोच पाते हैं, न ही नया कर पाते हैं. इस कारण वे खुद को कभी जान भी नहीं पाते हैं.

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