बच्चा सिर्फ रटता है, सोचता नहीं? डालें ये 7 आदतें, बच्चों की क्रिएटिविटी पहुंचेगी सातवें आसमान पर

Parenting Tips: अगर आपका बच्चा सिर्फ रटता है लेकिन खुद से कुछ नहीं सोचता, तो आपको तुरंत कुछ आदतों में बदलाव करने की जरूरत है. यह लेख उन 7 असरदार तरीकों पर केंद्रित है, जो बच्चों में कल्पनाशक्ति, रचनात्मक सोच और आत्मविश्वास को बढ़ावा देते हैं. इन आसान बदलावों से आपका बच्चा सिर्फ नंबर लाने वाला नहीं, बल्कि सोचने और नया करने वाला इंसान बनेगा.

By Sameer Oraon | July 29, 2025 5:47 PM
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Parenting Tips: आज के समय में अच्छे मार्क्स लाने वाले को ही दिमाग का तेज इंसान मान लिया गया है. 90-95 परसेंट से नीचे कोई बात ही नहीं करता है. लेकिन आपने कभी सोचा है कि आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चे में सोचने की शक्ति कितनी अधिक है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके बच्चों का ज्ञान किताबी नॉलेज तक ही सीमित हो गया है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आपका बच्चा रटने की रेस में शामिल हो गया है. हालांकि सच्चाई यही मॉर्डन एजुकेशन का पैटर्न ही ऐसा है कि लोगों में क्रिएटिविटी की भारी कमी है. बच्चों में कल्पनाशक्ति क्षीण है. जब किसी काम को नये तरीके से करने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं. नतीजा ये होता है कि जब बच्चा प्रतियोगिता की दुनिया में उतरता तो वह पिछड़ जाता है क्योंकि वो कुछ नया सोच ही नहीं पाता. अंत में वह केवल एक डिग्री धारक ही बनकर रह जाता है. ऐसे में जरूरी है बच्चों को शुरू से क्रिएटिव बनाने की आदत डालें, आइये जानिए वो 7 कौन कौन सी आसान और असरदार आदते हैं जो आपके बच्चे को बना सकती हैं क्रिएटिव.

कहानी सुनाने की नहीं, कहानी बनाने की भी आदत डालें

जब बच्चा छोटा होता है तो उन्हें माता-पिता से खूब कहानी सुनने की इच्छा रहती है. बच्चों को खुश करने के लिए माता पिता कहानी सुना भी देते हैं. लेकिन बच्चों में सोचने और समझने की शक्ति जगानी है तो उन्हें कहानी बनाने के लिए भी बोलना पड़ेगा. उन्हें मजबूर करें कि वह खुद से कोई कहानी गढ़ें. इससे उसकी कल्पना शक्ति तेज होती है और सोचने का नजरिया बढ़ता है.

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हर सवाल का जवाब न दें

बच्चों की जिज्ञासा को शांत करना जरूरी है. इसलिए बच्चों में सवाल पूछने की भी आदत डालें. लेकिन जब कुछ अजीबो गरीब सवाल पूछे तो कभी कभी जवाब देने की बजाय उनसे खुद कहें कि तुम उस जगह पर रहोगे तो क्या करोगे. ऐसे में बच्चों के अंदर सोचने की शक्ति बढ़ेगी.

गलत’ को लेकर डर न बैठाएं, कोशिश को सराहें

बच्चों में अक्सर कुछ न कुछ नया करने की इच्छा रहती है. ऐसे में अपने माता पिता से ही पहले पूछते हैं. वह कोई भी काम करना चाहें तो उसे रोके नहीं उन्हें करने दें. जब पूरा हो जाए तो उसे सराहें. ऐसे में वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं डरेगा.

Art, Music जैसी Non-Academic चीजों की ओर भी ध्यान देने के लिए कहें

बच्चों को पढ़ाई के अलावा Non-Academic चीजों में ध्यान देने को कहें. मानकर चलें अगर बच्चा कोई छोटा गेम ही खेलता है तो उसे खेलने दें. गेम्स, आर्ट, म्यूजिक जैसी भी एक्सट्रा एक्टिविटीज करता है तो उन्हें करने दें. क्योंकि इस दौरान उनमें कुछ नया करने की इच्छा जागेगी और खुद से उनमें कुछ जोड़ने की सोचेगा. ये न सिर्फ उसकी हॉबी बनेगी बल्कि उनके दिमाग की खिड़कियां भी खोलेगी.

बच्चों को ‘बोर’ होने दीजिए, मोबाइल मत पकड़ा दीजिए

जब भी बच्चें बोर होते हैं वह मोबाइल की डिमांड करते हैं. लेकिन हर बार उन्हें मोबाइल न दें. कुछ न कुछ बहाना बनाकर उसे टालें. जब बच्चे के पास करने के लिए कुछ नहीं होगा तो खुद का मन बहलाने के लिए नयी चीजें ढूंढेगा ही.

हर हफ्ते दें ‘सोचने’ का एक चैलेंज

बच्चों के साथ हमेशा बातचीत का समय निकालें. उसी दौरान उन्हें चैलेंज भी दें कि अगर ऐसा हुआ तो तुम क्या करोगे. उदाहरण के लिए अगर एक दिन घर में बिजली न रहे, मोबाइल में बैट्री न रहे तो तुम कैसे अपना दिन बिताओगे?” इससे बच्चों के अंदर रियल लाइफ प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स आएंगे.

बच्चों की बनायी गयी चीजों को डिस्प्ले करें

जब भी बच्चा ड्रॉइंग या कविता बनाएं तो कोशिश करें कि उसे दिवार में लगाएं या फ्रेम करके शॉ केज बनाएं. इससे उन्हें अपने आइडिया पर गर्व महसूस होगा और वह उसे बार बार करने की सोचेगा.

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