टोकने से बचें
टीनएज के दौरान कई बदलाव देखने को मिलते हैं. इस उम्र में हर समय डांटना या टोकना अच्छा नहीं है. इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे बड़े हो रहे हैं. बात-बात पर बच्चे को टोकना उन्हें आपसे दूर कर सकता है. बच्चों की बातों को सुने और समझने की कोशिश करें. अपनी बात को भी बच्चे को समझाएं.
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खुले दिल से बात करें
किशोरावस्था में बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार रखें जिससे वे अपने अनुभव, डर और सपने आपके साथ शेयर कर सकें. बच्चों से दोस्ती जैसा रिश्ता बनाएं जिससे वे अपनी बात बेझिझक आपको बता पाएं. जब वे आपसे खुलकर बात करेंगे तभी आप उन्हें सही सलाह दे पाएंगे.
जिम्मेदारी के बारे में बताएं
इस उम्र में बच्चों को थोड़ी आजादी दें. उन्हें कुछ फैसले लेने की आजादी दें. लेकिन आजादी के साथ बच्चों को जिम्मेदारी के बारे में भी बताएं. बच्चों को यह भी सिखाएं कि हर फैसले की एक जिम्मेदारी होती है.
उदाहरण बनें
बच्चे पैरेंट्स को देखकर ही कई बातों को सीखते हैं. इसलिए आप खुद भी सही व्यवहार करें जो आप बच्चे में देखना चाहते हैं.
सपोर्ट दें
इस उम्र में बच्चे को इमोशनल सपोर्ट दें. बच्चे को अपने विचार रखने दें और आप भी उनकी बातों को सुने.
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