संत कौन है?
प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग के दौरान एक सवाल आता है कि संत कौन है? संत किसको मानें? क्या संत को बाहरी वेश से जाना जाए. इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जिसने तीन चीजों पर जीत हासिल कर लिया है वो ही साधु है और महात्मा है. जिन तीन चीजों का जिक्र प्रेमानंद जी महाराज जी करते हैं वो है काम पर विजय, धन पर विजय और कीर्ति पर विजय. आगे प्रेमानंद जी महाराज संन्यास के ऊपर ये कहते हैं बिना गुरु के संन्यास धारण नहीं किया जाता है.
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प्रेमानंद जी महाराज ने साधु के वेश पर क्या कहा?
सत्संग में आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि वैराग्य तो गुरु के शरण में ही आता है. जो लोग सिर्फ वेश धारण करते हैं ऐसे लोगों में वैराग्य नहीं आता है. उनमें थोड़ा प्रमाद आता है और कायरता आती है. ऐसे लोग नौटंकी करते हैं. आगे प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं जब वैराग्य आता है तब उस इंसान को भगवत प्राप्ति होती है. आगे प्रेमानंद जी महाराज पैसे की बात करते हुए कहते हैं कि हर जगह आजकल पैसे की बात है यहां तक सत्संग में भी और इस पैसे से भोग की चीज का सेवन करने वाला व्यक्ति ज्ञानी नहीं हो सकता.
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