क्यों आते हैं आंसू
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब कोई भक्त सच्चे दिल से भगवान की मूर्ति को देखता है तो उसका मन और आत्मा भगवान से जुड़ने लगती है. यह एक ऐसा पल होता है जब दुनिया के सारे दुख और चिंताएं दूर हो जाती हैं.महाराज कहते हैं कि भगवान की मूर्ति को निहारते समय जब आंसू आते हैं तो इसका मतलब है कि भक्त का हृदय अहंकार से मुक्त हो रहा है. ये आंसू उस प्रेम के प्रतीक हैं जो भक्त के दिल में भगवान के लिए छिपा हुआ है.
कमजोरी नहीं शक्ति का प्रतीक
महाराज ने यह भी कहा कि इन आंसुओं को कमजोरी मानना एक बहुत बड़ी भूल है. यह तो एक दैवीय अनुभूति है. ये आंसू किसी भी भक्त के मन को शांति देते हैं. यह इस बात का संकेत है कि भगवान की कृपा उस पर हो रही है. जब कोई सच्चा भक्त अपनी पूरी भावना के साथ भगवान के चरणों में झुकता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा जरूर बरसाते हैं. यह भी कहा जा सकता है कि ये आंसू इस बात का सबूत हैं कि भक्त अपने जीवन में सही रास्ते पर है. वह भगवान के करीब है और ईश्वर उसे सही राह दिखा रहे हैं.
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